संविधान का भाग 2 (अनुच्छेद 5 से 11): नागरिकता
संविधान का भाग 2 भारतीय नागरिकता से संबंधित है। इसमें यह निर्धारित किया गया है कि कौन भारतीय नागरिक होगा और नागरिकता से जुड़े अन्य प्रावधान क्या होंगे।
1. अनुच्छेद 5 (नागरिकता का अधिकार)
भारत के संविधान के लागू होने (26 जनवरी 1950) से पहले या उस समय भारत में निवास कर रहे लोगों की नागरिकता से संबंधित प्रावधान करता है।
2. अनुच्छेद 6 (पाकिस्तान से प्रवास करने वाले व्यक्तियों की नागरिकता)
यह उन लोगों की नागरिकता को परिभाषित करता है जो विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आए थे।
3. अनुच्छेद 7 (पाकिस्तान जाने वाले लोगों की नागरिकता पर प्रावधान)
जो लोग विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे लेकिन बाद में वापस भारत आना चाहते थे, उनकी नागरिकता के लिए नियम तय करता है।
4. अनुच्छेद 8 (विदेशों में रहने वाले भारतीयों की नागरिकता)
यह उन लोगों की नागरिकता से संबंधित है जो भारत से बाहर रहते हैं लेकिन भारतीय मूल के हैं।
5. अनुच्छेद 9 (दोहरी नागरिकता पर प्रतिबंध)
अगर किसी व्यक्ति ने स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ले ली है, तो वह भारतीय नागरिक नहीं रहेगा।
6. अनुच्छेद 10 (नागरिकता जारी रहने की शर्तें)
संविधान द्वारा या संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के तहत नागरिकता बनाए रखने का प्रावधान करता है।
7. अनुच्छेद 11 (संसद की शक्तियां)
संसद को यह अधिकार देता है कि वह नागरिकता से संबंधित नए कानून बना सके और वर्तमान कानूनों में संशोधन कर सके।
संक्षेप में:
संविधान का भाग 2 यह तय करता है कि 1950 में भारत के नागरिक कौन थे और नागरिकता से जुड़े अन्य कानूनी पहलुओं को संसद द्वारा तय करने की शक्ति प्रदान करता है। बाद में, भारत की संसद ने 1955 में ‘भारतीय नागरिकता अधिनियम’ (Citizenship Act, 1955) पारित किया, जो आज भी भारत में नागरिकता से जुड़े नियमों को निर्धारित करता है।