अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त कदम

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025:

नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त कदम

 

हर साल 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day – IWD) मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के संघर्षों, उपलब्धियों और समाज में उनके योगदान को सम्मान देने के लिए समर्पित है। यह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि महिलाओं की समानता और अधिकारों की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी है।

2025 की थीम – “Accelerate Action” (कार्रवाई में तेजी लाएं) हमें यह संदेश देती है कि लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में केवल विचार ही नहीं, बल्कि ठोस और त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक सशक्त कदम

महिला दिवस का इतिहास और महत्व

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास 1909 में अमेरिका से शुरू हुआ, जब पहली बार महिला श्रमिकों ने अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई। इसके बाद 1910 में जर्मन समाजवादी नेता क्लारा ज़ेटकिन ने इसे वैश्विक रूप देने का सुझाव दिया। 1911 में पहली बार यह दिवस ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में मनाया गया।

संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी और तब से हर साल इसे एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। यह दिन हमें महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लैंगिक समानता की दिशा में प्रयास करने का अवसर प्रदान करता है।

 

2025की थीम – “Accelerate Action”

इस साल की थीम “Accelerate Action” (कार्रवाई में तेजी लाएं) हमें यह अहसास कराती है कि महिलाओं को समान अधिकार और अवसर देने के लिए हमें सिर्फ नीतियों और कानूनों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उनका प्रभावी क्रियान्वयन भी करना चाहिए।

आज भी दुनिया के कई हिस्सों में महिलाएं विभिन्न प्रकार की असमानताओं और चुनौतियों का सामना कर रही हैं। ऐसे में इस वर्ष का संदेश यह है कि सरकारों, संगठनों और आम नागरिकों को मिलकर ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि महिलाओं को समान अवसर और अधिकार मिल सकें।

 

समाज में महिलाओं की वर्तमान स्थिति

हालांकि पिछले कुछ दशकों में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन अब भी कई क्षेत्रों में असमानता बनी हुई है।

1. लैंगिक भेदभाव और वेतन असमानता विश्व स्तर पर महिलाएं पुरुषों की तुलना में 20-30% कम वेतन पाती हैं।

कई कार्यक्षेत्रों में महिलाओं को उच्च पदों पर पहुंचने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ता है।

2. शिक्षा और स्वास्थ्य में असमानता कई देशों में अब भी लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती।

गर्भावस्था और प्रसव के दौरान उचित चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण हर साल हजारों महिलाओं की मृत्यु हो जाती है।

3. घरेलू हिंसा और यौन शोषण दुनिया भर में हर तीन में से एक महिला अपने जीवन में कभी न कभी घरेलू हिंसा का शिकार होती है।

कार्यस्थलों पर यौन शोषण की घटनाएं आज भी चिंता का विषय बनी हुई हैं।

4. राजनीतिक और प्रशासनिक भागीदारी की कमी

विश्व स्तर पर केवल 26% महिलाएं ही संसदों में प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

प्रशासन और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है।

महिला सशक्तिकरण के लिए आवश्यक कदम

हिला सशक्तिकरण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें हर नागरिक, हर परिवार और हर समाज की भूमिका अहम है।

1. शिक्षा को प्राथमिकता देना

लड़कियों की शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाए और उन्हें उच्च शिक्षा तक पहुंच प्रदान की जाए।

तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जाए ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें।

2. समान वेतन और रोजगार के अवसर

कार्यस्थलों पर महिलाओं को समान अवसर और वेतन मिलना चाहिए।

महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता और अनुकूल नीतियां बनाई जाएं।

3. सुरक्षा और न्यायिक सुधार

महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए कड़े कानून और उनका सख्ती से क्रियान्वयन जरूरी है।

यौन उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों में शीघ्र न्याय सुनिश्चित किया जाए।

4. महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाना

महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक भागीदारी देनी होगी।

संसद, पंचायत और अन्य प्रशासनिक संस्थाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास करने होंगे।

5. डिजिटल सशक्तिकरण और टेक्नोलॉजी तक पहुंच

महिलाओं को डिजिटल साक्षरता प्रदान करना और टेक्नोलॉजी में उनकी भागीदारी बढ़ाना आवश्यक है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत नियम बनाए जाएं।

 

महिला दिवस का महत्व और संदेश

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए जागरूकता बढ़ाने का एक मंच भी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि लैंगिक समानता कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि हर महिला का मौलिक अधिकार है।

2025 की थीम “Accelerate Action” हमें यह सिखाती है कि अगर हम वास्तव में एक न्यायसंगत और समान समाज बनाना चाहते हैं, तो हमें अब बातें करने से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने होंगे।

निष्कर्ष

आज जब दुनिया विज्ञान, टेक्नोलॉजी और सामाजिक विकास में आगे बढ़ रही है, तो महिलाओं को समान अधिकार देने में पीछे रहना हमारी असफलता होगी। महिला सशक्तिकरण का मतलब सिर्फ महिलाओं को आगे बढ़ाना नहीं, बल्कि एक समृद्ध और मजबूत समाज का निर्माण करना भी है।

 

इस महिला दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाने, उनके अधिकारों की रक्षा करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में योगदान देंगे।

जब महिलाएं सशक्त होंगी, तो समाज और देश भी सशक्त होगा।

 

“जब नारी को सम्मान मिलेगा, तब ही समाज में परिवर्तन संभव होगा।”

 

 

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