अरस्तू (Aristotle) – महान यूनानी दार्शनिक
अरस्तू (384 ईसा पूर्व – 322 ईसा पूर्व) प्राचीन ग्रीस (यूनान) के सबसे प्रसिद्ध दार्शनिकों में से एक थे। वे प्लेटो (Plato) के शिष्य और सिकंदर महान (Alexander the Great) के गुरु थे। उन्होंने दर्शनशास्त्र, राजनीति, तर्कशास्त्र, विज्ञान, नैतिकता और काव्यशास्त्र सहित कई विषयों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया।
1. अरस्तू का जीवन परिचय
| जन्म | 384 ईसा पूर्व, स्टैगिरा (यूनान) |
| मृत्यु | 322 ईसा पूर्व, चैल्सिस (यूनान) |
| गुरु | प्लेटो |
| शिष्य | सिकंदर महान |
| संस्थाएँ | लाइसीयम (Lyceum) |
- अरस्तू का जन्म स्टैगिरा (ग्रीस) में हुआ था।
- वे एथेन्स (Athens) में प्लेटो के अकादमी (Academy) में अध्ययन करने गए।
- बाद में उन्होंने “लाइसीयम” (Lyceum) नामक स्कूल की स्थापना की।
- सिकंदर महान को शिक्षा देने के बाद उन्होंने दर्शन और विज्ञान पर गहन शोध किया।
2. अरस्तू के प्रमुख विचार
(i) तर्कशास्त्र (Logic)
- अरस्तू को “तर्कशास्त्र (Logic) का जनक” माना जाता है।
- उन्होंने सिलोजिज्म (Syllogism) का विकास किया, जो आधुनिक तर्कशास्त्र की नींव रखता है।
- उनका प्रसिद्ध कथन:
- “सभी मनुष्य नश्वर हैं।
- सुकरात एक मनुष्य है।
- इसलिए, सुकरात नश्वर है।”
(ii) राजनीति और राज्य (Politics & State)
- अरस्तू को “राजनीति का जनक” कहा जाता है।
- उन्होंने “राजनीति” (Politics) नामक पुस्तक लिखी।
- वे मध्य मार्ग (Golden Mean) के सिद्धांत को मानते थे।
- उन्होंने तीन प्रकार की सरकार बताई:
- राजतंत्र (Monarchy) – अगर राजा न्यायप्रिय है तो यह सबसे अच्छी शासन व्यवस्था है।
- अभिजात तंत्र (Aristocracy) – जब योग्य लोग शासन करें।
- लोकतंत्र (Democracy) – जब आम लोग शासन करें। (लेकिन उन्होंने भीड़तंत्र की आलोचना की)
(iii) नीतिशास्त्र (Ethics)
- अरस्तू ने “निकोमैखीय नीतिशास्त्र” (Nicomachean Ethics) पुस्तक लिखी।
- उन्होंने कहा कि “सर्वोच्च भलाई (Supreme Good) सुख (Happiness) है।”
- उन्होंने मध्य मार्ग (Golden Mean) का सिद्धांत दिया – अतिवाद से बचना चाहिए।
(iv) साहित्य और काव्यशास्त्र (Poetics & Drama)
- अरस्तू की पुस्तक “काव्यशास्त्र” (Poetics) नाटक और काव्य के सिद्धांतों पर आधारित है।
- उन्होंने “ट्रैजेडी (Tragedy)” और “कॉमेडी (Comedy)” का विश्लेषण किया।
- उन्होंने “कैथार्सिस” (Catharsis) की अवधारणा दी, जो दर्शकों की भावनात्मक शुद्धि (Emotional Purification) को दर्शाती है।
(v) विज्ञान और जीव विज्ञान (Science & Biology)
- अरस्तू ने पहली बार जीवों का वैज्ञानिक वर्गीकरण (Classification) किया।
- उन्होंने जीवों को दो वर्गों में बांटा – वनस्पति (Plants) और जंतु (Animals)।
- वे मानते थे कि जीवों का विकास एक क्रमिक प्रक्रिया है (हालांकि उनका विचार आधुनिक डार्विनवाद से अलग था)।
3. अरस्तू की रचनाएँ
अरस्तू ने कई ग्रंथ लिखे, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
| विषय | पुस्तक का नाम |
|---|---|
| तर्कशास्त्र | ऑर्गेनन (Organon) |
| राजनीति | पॉलिटिक्स (Politics) |
| नैतिकता | निकोमैखीय नीतिशास्त्र |
| साहित्य | पोएटिक्स (Poetics) |
| विज्ञान | हिस्ट्री ऑफ एनिमल्स |
4. अरस्तू की विरासत
- अरस्तू के विचारों ने पश्चिमी दर्शन, विज्ञान और राजनीति को गहराई से प्रभावित किया।
- उनके शिष्य सिकंदर महान ने उनके सिद्धांतों के आधार पर विश्व विजय की।
- उनके विचार मध्यकाल में इस्लामिक और ईसाई दार्शनिकों द्वारा भी अपनाए गए।
- आधुनिक विज्ञान और दर्शन में अरस्तू को एक महान विचारक माना जाता है।
निष्कर्ष
अरस्तू एक महान दार्शनिक, वैज्ञानिक और शिक्षक थे। उनके विचार आज भी दर्शन, विज्ञान, राजनीति, नीतिशास्त्र और साहित्य में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। उन्हें “पश्चिमी दर्शन का जनक” भी कहा जाता है।