त्रिपुरा बना भारत का तीसरा पूर्णतः साक्षर राज्य: एक नई शिक्षा क्रांति की शुरुआत

📘 त्रिपुरा बना भारत का तीसरा पूर्णतः साक्षर राज्य: एक नई शिक्षा क्रांति की शुरुआत


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वर्ष 2025 की एक बड़ी उपलब्धि में, त्रिपुरा ने खुद को भारत का तीसरा “पूर्णतः साक्षर राज्य” घोषित कर दिया है। इससे पहले केवल गोवा और मिज़ोरम ही इस उपाधि को प्राप्त कर चुके हैं। यह उपलब्धि ULLAS (Understanding Lifelong Learning for All in Society) अभियान के अंतर्गत संभव हुई है।


📊 क्या है “पूर्णतः साक्षर राज्य”?

“पूर्ण साक्षरता” का अर्थ है कि राज्य में:

  • सभी व्यस्क नागरिक पढ़ना, लिखना और गणना करना जानते हों,

  • डिजिटल और वित्तीय साक्षरता भी हासिल की गई हो,

  • शिक्षा का लाभ केवल बच्चों तक नहीं, बल्कि हर आयु वर्ग तक पहुँचा हो।


🌱 ULLAS अभियान क्या है?

ULLAS यानी Understanding Lifelong Learning for All in Society
भारत सरकार का एक मिशन है जो National Education Policy 2020 के तहत चलाया जा रहा है।

इसके प्रमुख उद्देश्य:

  • वयस्क शिक्षा को बढ़ावा देना

  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए पढ़ाई सुलभ बनाना

  • हर गांव, हर मोहल्ले में साक्षरता फैलाना

  • स्वयंसेवकों के माध्यम से लोकल स्तर पर शिक्षा देना

ULLAS के तहत त्रिपुरा में 25,000 से अधिक वयस्कों को शिक्षित किया गया, जिनमें महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही।


📍 त्रिपुरा कैसे बना साक्षर?

कार्य विवरण
🎯 लक्ष्य आधारित कार्य हर जिले को लक्ष्य दिए गए: “प्रत्येक घर में कम से कम एक साक्षर”
📱 डिजिटल शिक्षण मोबाइल ऐप्स, टैबलेट और वीडियो लेक्चर का प्रयोग
🙌 सामुदायिक भागीदारी NGO, शिक्षकों, छात्रों, और पंचायतों की भूमिका
👩‍🎓 महिला साक्षरता महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की विशेष कक्षाएँ
🧾 डेटा ट्रैकिंग हर ग्राम पंचायत में साक्षरता का डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम

🧠 इससे क्या बदलाव आए?

🎉 सामाजिक बदलाव:

  • महिलाओं ने बैंकिंग और डिजिटल लेनदेन को अपनाना शुरू किया

  • बुजुर्ग अब सरकारी योजनाओं को समझकर लाभ उठा पा रहे हैं

  • बच्चों की शिक्षा में माता-पिता का योगदान बढ़ा है

📈 आर्थिक बदलाव:

  • ग्रामीणों ने खुद ऑनलाइन बिज़नेस और स्वरोज़गार शुरू किया

  • बेहतर नौकरी और रोजगार के अवसर बढ़े

  • ई-गवर्नेंस में सहभागिता तेज़ हुई


📌 क्यों है यह उपलब्धि खास?

  • पूर्वोत्तर भारत के लिए यह प्रेरणा है, जहाँ साक्षरता में अब तक कुछ पिछड़ापन था

  • त्रिपुरा ने भाषा, संसाधन और तकनीकी चुनौतियों के बावजूद यह लक्ष्य प्राप्त किया

  • यह उदाहरण भारत के अन्य राज्यों के लिए “कम संसाधन में ज्यादा असर” की सीख है


🇮🇳 भारत में साक्षरता स्थिति (2025 तक):

राज्य साक्षरता दर (%)
केरल 96.2% (परंपरागत रूप से उच्च)
मिज़ोरम 95.8%
त्रिपुरा 95.6%
गोवा 95.2%
राष्ट्रीय औसत 77.7%

(डेटा स्रोत: TOI / Ministry of Education)


🏁 निष्कर्ष: क्या यह शिक्षा क्रांति की शुरुआत है?

बिलकुल! त्रिपुरा की यह उपलब्धि भारत में वयस्क साक्षरता और सामाजिक विकास का प्रतीक है। यह सिर्फ आंकड़ों की जीत नहीं, बल्कि मानव गरिमा, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की जीत है।

अगर देश के अन्य राज्य भी इसी राह पर चलें, तो “शत-प्रतिशत साक्षर भारत” अब कोई सपना नहीं, एक निकट भविष्य है।

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