नासा का आर्टेमिस मिशन अपडेट: चाँद पर इंसानों की वापसी की तैयारी
50 साल बाद इंसान फिर से चाँद पर कदम रखने वाले हैं। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) अपने महत्वाकांक्षी आर्टेमिस (Artemis) प्रोग्राम के जरिए चाँद पर इंसानी मिशन भेजने की तैयारी में अंतिम चरण में पहुँच चुकी है। आर्टेमिस प्रोग्राम का मकसद चाँद की सतह पर इंसानों को उतारना, वहाँ स्थायी बेस तैयार करना और भविष्य में मंगल तक मानव मिशन की नींव रखना है। 1969 में अपोलो-11 मिशन के बाद यह पहला मौका होगा जब इंसान चाँद पर लौटेगा।
क्या है आर्टेमिस मिशन?
नासा का आर्टेमिस प्रोग्राम तीन चरणों में बँटा है:
✅ Artemis-1: मानवरहित मिशन, जिसे नवंबर 2022 में सफलता से लॉन्च किया गया। इसने चाँद की परिक्रमा की और तकनीक टेस्ट की।
✅ Artemis-2: पहली बार इंसान चाँद के चारों ओर जाएंगे, पर लैंड नहीं करेंगे। इस मिशन में चार अंतरिक्ष यात्री चाँद की ऑर्बिट तक जाकर लौटेंगे। यह मिशन 2025 की शुरुआत तक लॉन्च हो सकता है।
✅ Artemis-3: इंसानों को फिर से चाँद की सतह पर उतारने का मिशन। इसमें पहली महिला और पहला अश्वेत अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होगा। यह 2026 तक संभव है।
आर्टेमिस क्यों है खास?
अपोलो प्रोग्राम के बाद नासा पहली बार चाँद पर इंसानों को उतारेगा, और इस बार फोकस है चाँद के साउथ पोल पर। वहाँ पानी की संभावना है, जो भविष्य के स्पेस बेस के लिए बेहद जरूरी है। आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए नासा चाँद पर स्थायी ठिकाना बनाने का रास्ता खोल रहा है। चाँद के साउथ पोल से ऑक्सीजन, पानी और रॉकेट फ्यूल बनाने की तकनीक भी टेस्ट होगी।
आर्टेमिस और स्पेस रेस
चीन भी 2030 तक चाँद पर इंसान भेजने की योजना बना रहा है। रूस और यूरोप भी मून बेस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। ऐसे में आर्टेमिस प्रोग्राम अमेरिका को स्पेस रेस में फिर से आगे लाने का प्रयास है। आर्टेमिस के जरिए अमेरिका स्पेस रिसोर्सेज के नियम तय करने में भी बड़ी भूमिका निभाना चाहता है। इसी वजह से नासा ने 2020 में आर्टेमिस अकॉर्ड्स लॉन्च किए, जिसमें भारत समेत 40 से ज्यादा देशों ने सहयोग जताया है।
भारत और आर्टेमिस
भारत ने आर्टेमिस अकॉर्ड्स पर दस्तखत करके नासा के साथ सहयोग बढ़ाया है। भारत का चंद्रयान मिशन और गगनयान भी भारत की चंद्र और मानव अंतरिक्ष यात्रा क्षमता को मजबूत करेंगे। भविष्य में ISRO-नासा साझेदारी से भारत को चाँद के मिशनों में बड़ा योगदान करने का मौका मिल सकता है।
आर्टेमिस से जुड़ी तकनीक
SLS (Space Launch System): दुनिया का सबसे ताकतवर रॉकेट, जो भारी मिशन को चाँद तक भेजने में सक्षम है।
ओरियन क्रू कैप्सूल: इसमें इंसान सवार होंगे और यह उन्हें सुरक्षित लौटाएगा।
गेटवे स्टेशन: चाँद की कक्षा में छोटा स्पेस स्टेशन बनाया जाएगा, जो भविष्य के मिशनों का बेस बनेगा।
भविष्य की संभावनाएँ
अगर आर्टेमिस-3 मिशन सफल होता है, तो 2030 तक चाँद पर स्थायी बेस बन सकता है। इससे चाँद पर ही रिसोर्स माइनिंग, रिसर्च और मंगल मिशन के लिए लॉन्चपैड बनाना संभव होगा। आने वाले दशक में चाँद इंसानों के लिए नया ठिकाना बनने की कगार पर है।