पर्यावरण (Environment)
पर्यावरण वह प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित तंत्र है, जिसमें हम रहते हैं। यह जीवों और उनके आसपास की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक परिस्थितियों का समूह है। पर्यावरण में जल, वायु, भूमि, जीव-जन्तु, वनस्पति और पारिस्थितिक तंत्र शामिल होते हैं।
1. पर्यावरण के घटक (Components of Environment)
पर्यावरण को मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा जाता है:
- भौतिक (Physical Environment) – जल, वायु, मिट्टी, तापमान, सूर्य का प्रकाश।
- जैविक (Biological Environment) – मनुष्य, पशु, पौधे, सूक्ष्मजीव।
- सामाजिक (Social Environment) – मानव समाज, सांस्कृतिक परंपराएँ, आर्थिक गतिविधियाँ।
2. पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem)
- परिभाषा: जीवों और उनके भौतिक वातावरण के बीच परस्पर संबंध को पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं।
- मुख्य प्रकार:
- स्थलीय (Terrestrial Ecosystem) – जंगल, घास के मैदान, मरुस्थल।
- जलस्थलीय (Aquatic Ecosystem) – समुद्र, झील, नदी, आर्द्रभूमि।
- घटक:
- अजैविक घटक – जल, वायु, मिट्टी, तापमान।
- जैविक घटक – उत्पादक (पौधे), उपभोक्ता (जानवर), अपघटक (बैक्टीरिया, फंगस)।
3. पर्यावरणीय समस्याएँ (Environmental Issues)
(A) प्रदूषण (Pollution)
- वायु प्रदूषण (Air Pollution) – कारण: वाहनों से धुआँ, उद्योग, कार्बन उत्सर्जन।
- जल प्रदूषण (Water Pollution) – कारण: औद्योगिक कचरा, प्लास्टिक, सीवेज।
- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) – कारण: रासायनिक खाद, प्लास्टिक, कूड़ा।
- ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) – कारण: यातायात, लाउडस्पीकर, कारखाने।
(B) जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
- ग्लोबल वार्मिंग – ग्रीनहाउस गैसों की वृद्धि से तापमान बढ़ना।
- समुद्र स्तर में वृद्धि – ध्रुवीय बर्फ पिघलने से जल स्तर बढ़ना।
- अनियमित मौसम – बाढ़, सूखा, तूफान, चक्रवात बढ़ना।
4. पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के उपाय
वन संरक्षण – वनों की अंधाधुंध कटाई रोकना।
प्लास्टिक का कम उपयोग – पुनर्चक्रण (Recycling) को बढ़ावा देना।
स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग – सौर, पवन और जल ऊर्जा अपनाना।
जल संरक्षण – वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) को अपनाना।
प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग – जैव विविधता को संरक्षित करना।
5. पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रमुख भारतीय और अंतरराष्ट्रीय पहल
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (SDGs, 2030) – पर्यावरण संतुलन और जलवायु सुधार हेतु 17 लक्ष्य।
पेरिस समझौता (Paris Agreement, 2015) – वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने का प्रयास।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT, भारत) – पर्यावरण से जुड़े मामलों के लिए विशेष न्यायाधिकरण।
स्वच्छ भारत मिशन – भारत में सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए।
जल शक्ति अभियान – जल संरक्षण और जल पुनर्भरण को प्रोत्साहित करने के लिए।
निष्कर्ष
पर्यावरण संतुलन बनाए रखना हमारे अस्तित्व के लिए बहुत आवश्यक है। प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों के अति-दोहन जैसी समस्याओं का समाधान केवल सरकार ही नहीं, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी भी है। हमें सतत विकास और पर्यावरणीय संतुलन के साथ जीने की आदत डालनी होगी।
“पृथ्वी हमारी माँ है, इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।”