🌋 पृथ्वी की आतंरिक संरचना और भूकंप की उत्पत्ति (Earth’s Interior and Origin of Earthquakes)
परिचय
भूगोल के अध्ययन में पृथ्वी की आतंरिक संरचना (Interior of the Earth) एक मूलभूत विषय है। इसका अध्ययन केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं की समझ, खनिज संसाधनों के स्थान, ज्वालामुखीय गतिविधियों और भूकंप जैसे खतरों से निपटने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
—
पृथ्वी की आतंरिक संरचना (Structure of Earth’s Interior)
पृथ्वी की आतंरिक संरचना को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है:
1. भूपर्पटी (Crust):
सबसे ऊपरी परत, जिसकी मोटाई औसतन 30–40 किमी होती है।
इसमें महाद्वीपीय और महासागरीय दो प्रकार की परतें होती हैं।
इसमें पाए जाने वाले तत्व – सिलिका (Si) और एल्युमिनियम (Al), जिसे SIAL कहते हैं।
2. मध्य मंडल या मैंटल (Mantle):
इसकी मोटाई लगभग 2,900 किमी तक होती है।
इसमें मुख्य तत्व सिलिका (Si) और मैग्नीशियम (Mg) होते हैं – जिसे SIMA कहा जाता है।
मैंटल के ऊपर के हिस्से को एस्थेनोस्फियर कहा जाता है – यह अर्ध-पिघला हुआ होता है और प्लेट टेक्टॉनिक का आधार बनता है।
3. कोर (Core):
केंद्र में स्थित सबसे भीतर की परत।
यह लोहे (Fe) और निकेल (Ni) से बनी होती है – जिसे NIFE कहा जाता है।
भीतरी कोर ठोस जबकि बाहरी कोर द्रव अवस्था में होती है।
—
पृथ्वी के आतंरिक संरचना की जानकारी कैसे मिलती है?
हम पृथ्वी के भीतर जाकर उसे नहीं देख सकते, इसलिए वैज्ञानिकों ने इसके बारे में जानकारी पाने के लिए कई अप्रत्यक्ष तरीकों का प्रयोग किया है:
1. भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves):
P-Waves (Primary) और S-Waves (Secondary) की गति और व्यवहार से पृथ्वी की परतों के बारे में जानकारी मिलती है।
S-Waves ठोस में चलती हैं, द्रव में नहीं — इस सिद्धांत के आधार पर बाहरी कोर के तरल होने की पुष्टि हुई।
2. ज्वालामुखी विस्फोट:
गहरे भू-भाग से निकलने वाला लावा और गैसें हमें अंदरूनी संरचना की जानकारी देती हैं।
3. खनिज उत्खनन और तापीय प्रवाह:
गहरी खानों और बोरिंग से तापमान और घनत्व में होने वाले परिवर्तन को मापा जाता है।
—
भूकंप की उत्पत्ति (Origin of Earthquakes)
भूकंप पृथ्वी की सतह में अचानक ऊर्जा के विमोचन के कारण होता है। यह ऊर्जा भूकंपीय तरंगों के रूप में चारों ओर फैलती है।
मुख्य कारण:
1. टेक्टॉनिक प्लेटों की गति (मुख्य कारण)
2. ज्वालामुखी विस्फोट
3. भूमि धसकना (Landslides)
4. मानव जनित कारण – खनन, बांधों में पानी का दबाव आदि।
महत्वपूर्ण शब्द:
Focus (केंद्रबिंदु): जहां अंदर भूकंप उत्पन्न हुआ।
Epicenter (केंद्रक): पृथ्वी की सतह पर वह स्थान जो focus के ठीक ऊपर होता है।
—
भारतीय संदर्भ में भूकंप क्षेत्र
भारत को पाँच भूकंपीय क्षेत्रों (Zones) में विभाजित किया गया है – ZONE II से V तक:
Zone V (बहुत अधिक संवेदनशील): जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर राज्य, हिमालयी क्षेत्र।
Zone IV: दिल्ली, बिहार, गुजरात के कुछ क्षेत्र।
Zone III: महाराष्ट्र, मध्य भारत।
Zone II: सबसे कम खतरे वाला क्षेत्र।
—
भूकंप के प्रभाव
1. मानव जीवन और संपत्ति की हानि
2. भूस्खलन और सुनामी जैसी द्वितीयक आपदाएँ
3. भवन, सड़क, पुलों का विनाश
4. मनोरोग और सामाजिक अस्थिरता
—
भूकंप से सुरक्षा के उपाय
भूकंप रोधी निर्माण तकनीक अपनाना
जल्दी चेतावनी प्रणाली (Early Warning System)
जन-जागरूकता अभियान
आपदा प्रबंधन योजनाएँ (NDMA Guidelines)
स्कूल/कॉलेजों में अभ्यास ड्रिल
—
निष्कर्ष
पृथ्वी की आतंरिक संरचना और भूकंप जैसे विषय न केवल भूगोल के मूलभूत टॉपिक हैं बल्कि यह आपदा प्रबंधन, विकास नीति, और स्थानीय नियोजन जैसे विषयों से भी जुड़े हुए हैं। UPSC परीक्षा में इस विषय से जुड़े प्रश्न बार–बार पूछे जाते हैं, इसलिए इस टॉपिक की गहन समझ अत्यंत आवश्यक है।
—
✅ संभावित UPSC प्रश्न
1. भूकंपीय तरंगों के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना का वर्णन कीजिए।
2. भारत में भूकंप संभावित क्षेत्रों का वर्णन कीजिए एवं प्रबंधन के उपाय बताइए।
3. Explain the classification of Earth’s interior and relate it with plate tectonics and seismicity.