प्रशासन में नैतिकता: सिविल सेवकों के लिए क्यों है यह अनिवार्य?
नैतिकता वह मूल भावना है जो किसी व्यक्ति के आचरण और निर्णय को सही और गलत के आधार पर दिशा देती है। सिविल सेवा में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि एक अधिकारी के निर्णय से लाखों लोगों का जीवन प्रभावित होता है।
UPSC ने इस बात को गंभीरता से समझा और वर्ष 2013 से सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में एक अलग पेपर – GS Paper 4 (Ethics, Integrity & Aptitude) शुरू किया।
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🌱 नैतिकता क्या है?
नैतिकता (Ethics) वह विचारधारा है जो यह निर्धारित करती है कि किसी स्थिति में क्या सही है और क्या गलत। यह आंतरिक आत्मा की आवाज़ है – जो केवल कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक रूप से उचित निर्णय लेने की प्रेरणा देती है।
> “Character is doing the right thing when no one is watching.”
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🏛️ प्रशासन में नैतिकता की भूमिका
1. लोक विश्वास (Public Trust) बनाए रखना
यदि अफसर भ्रष्ट, पक्षपाती या असंवेदनशील होगा तो जनता का भरोसा तंत्र से उठ जाएगा।
2. नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन
ईमानदार अफसर ही नीति को निष्ठा और समर्पण से लागू कर सकता है।
3. प्रशासनिक निष्पक्षता
नैतिक अधिकारी बिना किसी जाति, धर्म, वर्ग के भेदभाव के निर्णय करता है।
4. नैतिक नेतृत्व (Ethical Leadership)
एक IAS/IPS अधिकारी न सिर्फ प्रशासनिक प्रमुख होता है, बल्कि सामाजिक आदर्श भी होता है।
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🧭 नैतिकता के प्रमुख सिद्धांत
सत्यनिष्ठा (Integrity) – अपने मूल्यों और कार्यों में समानता।
निष्पक्षता (Objectivity) – सभी को समान अवसर और न्याय देना।
उत्तरदायित्व (Accountability) – अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार होना।
करुणा (Compassion) – जनता की पीड़ा को समझना और उसके अनुसार काम करना।
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🔍 प्रशासनिक नैतिकता की चुनौतियाँ
1. राजनीतिक दबाव – ट्रांसफर, पोस्टिंग और राजनीतिक हस्तक्षेप नैतिक निर्णय में बाधा बनते हैं।
2. भ्रष्ट तंत्र में काम – जब पूरा सिस्टम ही भ्रष्ट हो तो ईमानदार बने रहना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
3. लालच और व्यक्तिगत हित – बहुत बार अधिकारियों को व्यक्तिगत लाभ के लोभ से निर्णय बदलने पड़ते हैं।
4. जनता की अपेक्षाएँ – कभी-कभी लोग अफसर से गलत पर भी मदद की उम्मीद करते हैं।
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📘 UPSC GS-4 के लिए तैयारी सुझाव
केस स्टडी प्रैक्टिस करें: निर्णय लें और अपने उत्तर में नैतिक तर्क दें।
Second ARC Reports, Ethics in Governance पढ़ें।
महापुरुषों के उद्धरण, उनके जीवन से प्रेरणा लें: गांधी, अंबेडकर, विवेकानंद, कलाम आदि।
प्रतिदिन आत्ममंथन करें: क्या आज मैंने नैतिक व्यवहार किया?
—राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: भारत के भविष्य की दिशा तय करने वाला क्रांतिकारी बदलाव
🔚 निष्कर्ष:
एक ईमानदार और नैतिक सिविल सेवक ही सच्चे लोकतंत्र का रक्षक होता है।
UPSC केवल ज्ञान नहीं, चरित्र भी परखता है। GS Paper 4 न सिर्फ एक परीक्षा है, बल्कि सिविल सेवक बनने की पहली कसौटी भी।