प्राचीन काल में मध्य प्रदेश का इतिहास (600 ई.पू. – 1200 ई.)

 प्राचीन काल में मध्य प्रदेश का इतिहास (600 ई.पू. – 1200 ई.)

 

मध्य भारत का वर्तमान राज्य मध्य प्रदेश प्राचीन काल से ही राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। यहाँ की भूमि पर अनेक महाजनपद, साम्राज्य और महान शासकों ने शासन किया, जिन्होंने न केवल प्रशासनिक उन्नति की बल्कि कला, वास्तुकला और धर्म के क्षेत्र में भी अमिट छाप छोड़ी।

 

 

 

🔸 1. महाजनपद युग (600 ई.पू. – 300 ई.पू.)

 

प्राचीन भारत में जब 16 महाजनपदों का उदय हुआ, तब अवंति महाजनपद मध्य प्रदेश में स्थापित एक प्रमुख महाजनपद था। इसकी राजधानी उज्जयिनी (उज्जैन) थी, जो व्यापार, संस्कृति और राजनीति का बड़ा केंद्र मानी जाती थी।

 

अवंति ने वज्जि, मगध और कौशल जैसे अन्य महाजनपदों के साथ कई संघर्ष किए।

 

यही वह समय था जब जैन धर्म और बौद्ध धर्म का उदय हुआ और उज्जैन एक धार्मिक केंद्र बन गया।

 

 

 

 

🔸 2. मौर्य वंश (321 ई.पू. – 185 ई.पू.)

 

चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत मध्य प्रदेश भी आया। उनके पोते सम्राट अशोक को विशेष रूप से उज्जैन का राज्यपाल बनाया गया था।

 

अशोक के समय में बौद्ध धर्म का खूब प्रचार हुआ।

 

सांची (जिला रायसेन) में स्थित सांची स्तूप इसी काल का महान स्थापत्य नमूना है, जिसे अशोक ने बनवाया था।

 

 

 

 

🔸 3. शुंग, सातवाहन और नाग वंश (185 ई.पू. – 300 ई.)

 

मौर्य वंश के पतन के बाद मध्य भारत में शुंग वंश का प्रभाव बढ़ा। शुंगों के बाद सातवाहन और नाग शासकों ने भी इस क्षेत्र में शासन किया।

 

इन राजवंशों ने बौद्ध और हिन्दू धर्मों को संरक्षण दिया।

 

इस काल में कई गुफाएँ, मंदिर और मूर्तिकला के अद्भुत उदाहरण देखने को मिलते हैं।

 

 

 

 

🔸 4. गुप्त वंश (320 ई. – 550 ई.)

 

गुप्त काल को भारत का “स्वर्ण युग” कहा जाता है, और मध्य प्रदेश भी इस गौरवशाली काल का हिस्सा रहा। सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य और समुद्रगुप्त जैसे शासकों ने मालवा और बुंदेलखंड तक शासन किया।

 

उज्जैन को गुप्त काल में खगोलशास्त्र और गणित का केंद्र माना गया।

 

कालिदास जैसे महान संस्कृत कवि इसी समय उज्जैन में सक्रिय थे।

 

गुप्त काल में हिन्दू मंदिर स्थापत्य, मूर्तिकला और शिक्षा का खूब विकास हुआ।

 

 

 

 

🔸 5. वाकाटक, परमार और कालचुरी वंश (550 ई. – 1200 ई.)

 

गुप्त साम्राज्य के बाद मध्य भारत में छोटे-छोटे राजवंशों का उदय हुआ, जिनमें परमार, वाकाटक और कालचुरी वंश प्रमुख रहे।

 

🏰 परमार वंश (9वीं – 13वीं सदी):

 

राजधानी: धार

 

प्रमुख शासक: राजा भोज

→ उन्होंने धार में भोजशाला की स्थापना की और अनेक ग्रंथों की रचना की।

 

 

🛕 स्थापत्य कला:

 

खजुराहो के मंदिर (बुंदेलखंड): चंदेल वंश द्वारा निर्मित, जो आज यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं।

 

भीमबेटका की गुफाएँ (भोपाल के पास): यहाँ की चित्रकारी विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक का प्रमाण है।

 

 

 

 

📜 निष्कर्ष:

 

प्राचीन काल में मध्य प्रदेश भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा। अवंति से लेकर परमारों तक की शासकीय परंपरा ने इस क्षेत्र को एक गौरवशाली अतीत प्रदान किया। यहाँ की मूर्तिकला, मंदिर, साहित्य और स्थापत्य कला आज भी देश और दुनिया के लिए अध्ययन का विषय हैं।

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