बाबा रामदेव जी राजस्थान

बाबा रामदेव जी राजस्थान

समर्पण, भक्ति और अमर गाथा

लोकदेवता और गरीबों के भगवान

परिचय

भारत की धरती संतों, महात्माओं और लोकदेवताओं की पावन भूमि रही है। हर युग में समाज को राह दिखाने वाले महापुरुष जन्म लेते रहे हैं। ऐसे ही एक महान संत और लोकदेवता थे बाबा रामदेवजी, जिन्हें रामदेवरा वाले भगवान या बाबा रामदेव पीर के नाम से भी जाना जाता है।
राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और पड़ोसी देशों तक उनकी ख्याति फैली हुई है। बाबा रामदेवजी को गरीबों का मसीहा, समानता का प्रतीक और भक्तों का रक्षक माना जाता है।

बाबा रामदेव जी लोकदेवता की प्रतिमा
लोकदेवता बाबा रामदेव जी की प्रतिमा

बाबा रामदेवजी का जन्म और प्रारंभिक जीवन

    • बाबा रामदेवजी का जन्म भादो शुक्ल पक्ष दूज के दिन विक्रम संवत 1409 में हुआ।

    • जन्म स्थान: रूणीचा (आज का रामदेवरा), जिला जैसलमेर, राजस्थान

    • पिता का नाम: अजमलजी तनवार (राजपूत राजा)

    • माता का नाम: मीनलदे

    • जीवन संगी : नैतलदे

 

कहा जाता है कि उनके जन्म से पहले उनके पिता को संतान की बहुत इच्छा थी। संतों और सिद्धपुरुषों के आशीर्वाद से उन्हें यह दिव्य संतान प्राप्त हुई।


बचपन से चमत्कार और करुणा

बचपन से ही रामदेवजी में अलौकिक शक्तियाँ थीं।

  • वे गाय-भैंस चराते समय चमत्कार दिखाते और गरीबों की मदद करते।

  • उन्होंने बचपन से ही यह ठान लिया था कि जीवन भक्ति, सेवा और मानवता के लिए समर्पित करेंगे।

  • वे जात-पात और भेदभाव के सख्त विरोधी थे और सभी धर्मों को समान मानते थे।


समानता और भाईचारे का संदेश

उस समय समाज में जाति-पांति, ऊँच-नीच और भेदभाव गहराई से फैला हुआ था। बाबा रामदेवजी ने अपने प्रवचनों और आचरण से यह संदेश दिया कि –
👉 ईश्वर एक है, और सभी मनुष्य उसकी संतान हैं।

उन्होंने समाज को यह सिखाया कि किसी का सम्मान उसकी जाति से नहीं बल्कि उसके कर्म और भक्ति से होना चाहिए। इसी कारण उन्हें आज भी सभी जातियों और धर्मों के लोग पूजते हैं।


पाँच पिरों की कथा

बाबा रामदेवजी की महिमा इतनी व्यापक थी कि अरब से पाँच पिर (मुस्लिम संत) उनकी शक्ति को परखने आए।

  • उन्होंने बाबा को चमत्कार दिखाने की चुनौती दी।

  • बाबा रामदेवजी ने उन्हें अपनी आध्यात्मिक शक्ति से प्रभावित कर दिया।

  • पाँचों पिर बाबा के भक्त बन गए और आज भी उनकी समाधियाँ रामदेवरा में बाबा की समाधि के पास स्थित हैं।

इससे यह सिद्ध होता है कि बाबा रामदेवजी की कृपा केवल हिंदुओं तक ही सीमित नहीं रही बल्कि मुस्लिम समाज में भी उन्हें रामदेव पीर के रूप में पूजा जाता है।


जीवित समाधि

बाबा रामदेवजी ने मात्र 33 वर्ष की आयु में जीवित समाधि लेने का निर्णय किया।

  • वि.संवत 1442 में उन्होंने रामदेवरा में समाधि ली।

  • उनकी समाधि स्थल आज लाखों भक्तों का तीर्थ बन चुका है।

  • समाधि के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं को शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।


रामदेवरा मेला का महत्व

हर साल भाद्रपद मास (भादवा सुदी एकादशी से भादवा सुदी पूर्णिमा तक) रामदेवरा में विशाल मेला लगता है।

  • लाखों की संख्या में भक्त यहाँ आते हैं।

  • दूर-दूर से लोग पैदल यात्रा (पदयात्रा) करके रामदेवरा पहुँचते हैं।

  • भक्त “जय बाबा री” के जयकारों के साथ डुगडुगी बजाते हुए चलते हैं।

  • इस मेले में हिंदू और मुस्लिम दोनों श्रद्धालु एक साथ सम्मिलित होते हैं।


पूजा और श्रद्धा

बाबा रामदेवजी के भक्त उन्हें अवतारी पुरुष और गरीबों के भगवान मानते हैं।

  • उनके भजन, गीत और चौपाइयाँ आज भी राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा और दिल्ली तक गाए जाते हैं।

  • मुस्लिम समाज भी उन्हें “रामदेव पीर” कहकर सम्मान देता है।

  • अनेक स्थानों पर उनके मंदिर बने हुए हैं, परंतु सबसे प्रमुख तीर्थ रामदेवरा है।


बाबा रामदेवजी क्यों माने जाते हैं भगवान?

  1. गरीबों के रक्षक – उन्होंने हर ज़रूरतमंद की मदद की।

  2. समानता के संदेशवाहक – जाति-पांति का विरोध किया।

  3. धर्म की एकता – हिंदू और मुस्लिम दोनों समाज के आराध्य बने।

  4. भक्ति का मार्ग – उन्होंने लोगों को ईश्वर भक्ति और सेवा का मार्ग दिखाया।


आज के युग में बाबा रामदेवजी की प्रासंगिकता

भले ही यह कथा 600 साल पुरानी हो, लेकिन बाबा रामदेवजी का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

  • जब समाज जाति और धर्म के नाम पर बँटता है, तब बाबा का संदेश “समानता और भाईचारे” की राह दिखाता है।

  • जब लोग धन और सत्ता में उलझ जाते हैं, तब बाबा का आदर्श “सेवा और भक्ति” जीवन का सच्चा उद्देश्य बताता है।


  • चमत्कार और पीरों का आगमन –

  • कहा जाता है कि बाबा रामदेव जी के बारे में अरब देशों तक चर्चा थी। कई मुस्लिम पीर उनके चमत्कार की परीक्षा लेने भारत आए।

    • जब वे रामदेवरा पहुँचे तो बाबा रामदेव जी ने अपने चमत्कार से सबको संतुष्ट किया।

    • तब वे मुस्लिम पीर बाबा रामदेव जी की महानता मानकर उन्हें “पीरों का पीर” कहकर स्वीकार करने लगे।

  • घोड़े की कथा –

    • बाबा रामदेव जी का प्रिय घोड़ा था “लीलण” (Lilan)

    • मान्यता है कि वे अपने इसी घोड़े पर सवार होकर भक्तों की मदद के लिए तुरंत पहुँच जाते थे।

    • आज भी “लीलण घोड़ी” की पूजा रामदेवरा में होती है।

निष्कर्ष

बाबा रामदेवजी केवल राजस्थान या भारत के लोकदेवता नहीं हैं, बल्कि वे मानवता और समानता के प्रतीक हैं। उनकी जीवनी से हमें यह सीख मिलती है कि –
👉 गरीबों की सेवा ही सच्ची पूजा है।
👉 जाति और धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है।

हर साल लाखों श्रद्धालु रामदेवरा जाकर यह अनुभव करते हैं कि आज भी बाबा की कृपा सब पर बनी हुई है।
सच्चे मन से “जय बाबा री” कहने वाला भक्त कभी खाली नहीं लौटता।

“बाबा रामदेवजी का जन्मस्थान राजस्थान का रूणीचा गाँव (वर्तमान में रामदेवरा) है। यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से मारवाड़ (जोधपुर रियासत) का हिस्सा था और आज प्रशासनिक दृष्टि से जैसलमेर ज़िले में आता है। कुछ लोककथाओं में इसे बाड़मेर से भी जोड़ा जाता है।”

बहुत लोग बाबा रामदेव (रामदेव पीर / रामदेवजी महाराज) को भगवान कृष्ण का अवतार मानते हैं।
राजस्थान और गुजरात के भक्त विशेष रूप से उन्हें कृष्ण का अवतार और गरीबों के उद्धारक (गरीबों के देवता) मानते हैं।

👉 कुछ जगहों पर लोग उन्हें

  • ‘रामशा पीर’ (मुस्लिम मान्यता में),

  • और ‘कृष्ण अवतार’ (हिन्दू मान्यता में) कहते हैं।

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    प्र1. बाबा रामदेव भगवान का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
    👉 विक्रम संवत 1409 में राजस्थान के पोकरण (जैसलमेर ज़िले) के पास रामदेवरा नामक स्थान पर।

    प्र2. बाबा रामदेव भगवान के पिता का नाम क्या था?
    👉 अजमल जी ।

    प्र3. बाबा रामदेव भगवान की माता का नाम क्या था?
    👉 मैणादेवी।

    प्र4. बाबा रामदेव भगवान को किस नाम से भी जाना जाता है?
    👉 रामदेव पीर, रामशा पीर, रनछोड़जी।

    प्र5. बाबा रामदेव भगवान किस समाज और धर्म में विशेष रूप से पूजनीय हैं?
    👉 हिन्दू और मुस्लिम – दोनों समुदायों में।

    प्र6. बाबा रामदेव भगवान को किस चमत्कार के लिए प्रसिद्ध माना जाता है?
    👉 उन्होंने समाज में समानता, जाति-पांति के भेदभाव को मिटाया और गरीबों-दलितों की मदद की।

    प्र7. बाबा रामदेव भगवान की समाधि कहाँ स्थित है?
    👉 रामदेवरा, जैसलमेर (राजस्थान) में।

    प्र8. बाबा रामदेव भगवान का मेल (मेला) कब लगता है?
    👉 भाद्रपद शुक्ल पक्ष (भादवा बीज – ग्यारस से पूर्णिमा तक) हर साल रामदेवरा में।

    प्र9. बाबा रामदेव भगवान को मुस्लिम समाज किस नाम से पुकारता है?
    👉 रामशा पीर।

    प्र10. बाबा रामदेव भगवान को कौन-कौन से लोकनायक कवियों ने गाया है?
    👉 अयाची राम, दलपत, हीरदास और दादूदयाल जैसे संतों ने।

    प्र11. बाबा रामदेव भगवान के घोड़े का क्या नाम था?
    👉 लीला घोड़ा, लीलण (नीला घोड़ा)

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