भारतीय संविधान निर्माण का इतिहास
भारतीय संविधान विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधानों में से एक है। इसका निर्माण कई ऐतिहासिक घटनाओं और गहन विचार-विमर्श के बाद हुआ। संविधान निर्माण की प्रक्रिया 1946 में शुरू हुई और 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया गया।
संविधान निर्माण की पृष्ठभूमि
भारत में संविधान निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए हमें ब्रिटिश शासन के दौरान हुए कुछ महत्वपूर्ण संवैधानिक विकासों पर नज़र डालनी होगी:
- 1858 का अधिनियम – ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर ब्रिटिश सरकार ने भारत का प्रत्यक्ष प्रशासन अपने हाथ में ले लिया।
- 1919 का भारत सरकार अधिनियम – इसने द्वैध शासन (Dyarchy) प्रणाली लागू की।
- 1935 का भारत सरकार अधिनियम – यह भारतीय संविधान के लिए आधार बना। इसने संघीय व्यवस्था, प्रांतीय स्वायत्तता और मौलिक अधिकारों की नींव रखी।
- 1940 का अगस्त प्रस्ताव – ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को स्वतंत्र संविधान बनाने का आश्वासन दिया।
- 1942 का क्रिप्स मिशन – इसमें भारतीयों को सीमित स्वायत्तता देने का प्रस्ताव था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया।
- 1946 का कैबिनेट मिशन योजना – इसके तहत संविधान सभा (Constituent Assembly) का गठन किया गया।
संविधान सभा का गठन
- संविधान सभा की स्थापना 6 दिसंबर 1946 को हुई।
- संविधान सभा के सदस्य ब्रिटिश सरकार द्वारा तय कैबिनेट मिशन योजना (1946) के आधार पर चुने गए।
- प्रारंभ में इसमें 389 सदस्य थे, लेकिन देश विभाजन के बाद पाकिस्तान के सदस्य अलग हो गए, जिससे भारतीय संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 रह गई।
- संविधान सभा के प्रमुख पद:
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद – अध्यक्ष
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर – प्रारूप समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष
- सरदार वल्लभभाई पटेल – राज्यों के विलय में महत्वपूर्ण भूमिका
- पंडित जवाहरलाल नेहरू – उद्देशिका (Preamble) का मसौदा प्रस्तुत किया
- एच.सी. मुखर्जी – उपाध्यक्ष
संविधान निर्माण की प्रक्रिया
भारतीय संविधान को बनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे।
- 9 दिसंबर 1946 – संविधान सभा की पहली बैठक हुई (डॉ. सचिदानंद सिन्हा को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया)।
- 13 दिसंबर 1946 – पं. नेहरू ने “उद्देश्य प्रस्ताव” (Objective Resolution) प्रस्तुत किया, जो आगे चलकर संविधान की प्रस्तावना (Preamble) बना।
- 22 जनवरी 1947 – उद्देश्य प्रस्ताव पारित हुआ।
- 29 अगस्त 1947 – डॉ. बी. आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति (Drafting Committee) का गठन हुआ।
- 4 नवंबर 1947 – प्रारूप समिति ने पहला मसौदा (Draft) प्रस्तुत किया।
- 26 नवंबर 1949 – भारतीय संविधान को अपनाया गया (संविधान दिवस)।
- 26 जनवरी 1950 – भारतीय संविधान लागू हुआ (गणतंत्र दिवस)।
संविधान के प्रमुख स्रोत और विशेषताएँ
भारतीय संविधान कई देशों के संविधानों से प्रेरित है:
स्रोत देश | विशेषता |
---|---|
ब्रिटेन | संसदीय प्रणाली, विधि का शासन |
अमेरिका | मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन |
आयरलैंड | नीति निदेशक तत्व (DPSP) |
कनाडा | संघीय ढांचा, केंद्र को अधिक शक्ति |
जर्मनी | आपातकालीन प्रावधान |
ऑस्ट्रेलिया | समवर्ती सूची, व्यापार एवं वाणिज्य की स्वतंत्रता |
संविधान की प्रमुख विशेषताएँ
- लिखित और विस्तृत संविधान – यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
- संघीय संरचना (Federal Structure) – केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन।
- मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) – नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता, धर्म की स्वतंत्रता जैसे अधिकार दिए गए।
- नीति निदेशक तत्व (DPSP) – सरकार के लिए सामाजिक और आर्थिक विकास के मार्गदर्शक सिद्धांत।
- संविधान की सर्वोच्चता – भारत का संविधान सर्वोच्च विधि है।
- संशोधन की सुविधा – अनुच्छेद 368 के तहत संविधान को समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है।
- न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) – सर्वोच्च न्यायालय को कानूनों की समीक्षा करने का अधिकार।
संविधान का क्रियान्वयन और महत्व
- 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होते ही भारत गणराज्य बन गया।
- भारतीय संविधान ने भारत को “संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य” घोषित किया।
- भारत में संविधान ने लोकतंत्र और समानता को सुनिश्चित किया और आज भी यह देश के शासन का मूल आधार बना हुआ है।
निष्कर्ष
भारतीय संविधान विश्व के सबसे समावेशी और विस्तृत संविधानों में से एक है। इसका निर्माण संविधान सभा द्वारा गहन विचार-विमर्श, बहस और विभिन्न संवैधानिक सिद्धांतों के अध्ययन के बाद हुआ।