भारतीय समाज – विविधता में एकता का अनोखा उदाहरण
प्रस्तावना
भारतीय समाज दुनिया के सबसे प्राचीन, जटिल और विविध समाजों में से एक है। यहाँ विभिन्न धर्म, भाषाएँ, जातियाँ, संस्कृतियाँ और परंपराएँ सहअस्तित्व में रहती हैं। भारत की पहचान “विविधता में एकता” के सिद्धांत से होती है, जो इसे अन्य देशों से अलग बनाती है। UPSC, SSC और अन्य परीक्षाओं में “भारतीय समाज” विषय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की सामाजिक संरचना, समस्याएँ और समाधान को समझने का आधार है।
भारतीय समाज की विशेषताएँ
1. विविधता (Diversity)
भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहाँ 22 आधिकारिक भाषाएँ, सैकड़ों बोलियाँ और दर्जनों धर्मिक पंथ मौजूद हैं।
उदाहरण: उत्तर में हिमालयी संस्कृति, दक्षिण में द्रविड़ संस्कृति, पश्चिम में मराठा और राजस्थानी संस्कृति, पूर्व में असमिया और मणिपुरी संस्कृति।
2. धार्मिक सहिष्णुता (Religious Tolerance)
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, यहूदी आदि समुदायों का सहअस्तित्व भारतीय समाज की सबसे बड़ी ताकत है।
3. संयुक्त परिवार प्रणाली (Joint Family System)
हालाँकि शहरीकरण के साथ एकल परिवार का चलन बढ़ा है, लेकिन गाँवों और छोटे कस्बों में संयुक्त परिवार अब भी मजबूत सामाजिक संस्था है।
4. ग्रामीण प्रधानता (Rural Dominance)
भारत की लगभग 65% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहाँ कृषि मुख्य व्यवसाय है।
5. पारंपरिकता और आधुनिकीकरण का मिश्रण
भारतीय समाज परंपराओं को संजोकर रखते हुए तकनीकी और आधुनिक मूल्यों को भी अपनाता है।
भारतीय समाज की सामाजिक संरचना
1. जाति व्यवस्था (Caste System)
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भारत की प्राचीन सामाजिक संरचना में जाति व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्थान था।
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आज़ादी के बाद कानून और शिक्षा ने जाति-आधारित भेदभाव को कम किया, लेकिन यह पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
2. वर्ग व्यवस्था (Class System)
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आय, शिक्षा, पेशा और जीवन स्तर के आधार पर समाज में वर्ग विभाजन मौजूद है।
3. लिंग आधारित भूमिकाएँ (Gender Roles)
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पारंपरिक रूप से पुरुष आर्थिक गतिविधियों में और महिलाएँ घरेलू कार्यों में अधिक संलग्न रहीं, लेकिन आज महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।
भारतीय समाज की प्रमुख समस्याएँ
1. गरीबी (Poverty)
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आर्थिक असमानता समाज की बड़ी समस्या है।
2. बेरोजगारी (Unemployment)
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खासकर युवाओं में रोजगार की कमी सामाजिक असंतोष बढ़ा सकती है।
3. लैंगिक भेदभाव (Gender Discrimination)
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शिक्षा और रोजगार में महिलाओं के अवसर सीमित होना।
4. जातिगत भेदभाव (Caste Discrimination)
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कानूनी रूप से निषिद्ध होने के बावजूद कुछ क्षेत्रों में अब भी मौजूद।
5. सांप्रदायिकता और उग्रवाद (Communalism & Extremism)
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धार्मिक और जातीय तनाव समाज को विभाजित कर सकते हैं।
भारतीय समाज में हो रहे सकारात्मक बदलाव
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शिक्षा का प्रसार: नई शिक्षा नीति, डिजिटल लर्निंग और उच्च शिक्षा के अवसर।
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महिला सशक्तिकरण: पंचायतों में आरक्षण, सरकारी योजनाएँ, स्टार्टअप्स में भागीदारी।
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डिजिटल क्रांति: इंटरनेट, मोबाइल और सोशल मीडिया से जागरूकता बढ़ी।
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युवा शक्ति: भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, जो नवाचार और विकास में योगदान दे रहा है।
भारतीय समाज के सामने चुनौतियाँ
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शहरीकरण से उत्पन्न भीड़, प्रदूषण और संसाधन संकट।
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पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक विचारों के बीच संतुलन बनाए रखना।
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क्षेत्रीय असमानता और विकास में असंतुलन।
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साइबर अपराध और ऑनलाइन कट्टरपंथ का खतरा।
भारतीय समाज को मजबूत करने के उपाय
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: सभी वर्गों को समान अवसर।
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समानता पर आधारित नीतियाँ: महिलाओं और वंचित वर्गों के लिए विशेष योजनाएँ।
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रोजगार सृजन: स्टार्टअप, MSME और स्किल डेवलपमेंट पर जोर।
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राष्ट्रीय एकता के कार्यक्रम: सांस्कृतिक आदान-प्रदान, युवा कार्यक्रम, NCC/NSS।
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तकनीक और परंपरा का संतुलन: आधुनिकता अपनाते हुए सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण।
निष्कर्ष
भारतीय समाज एक जीवंत, गतिशील और बहुआयामी संरचना है, जो समय के साथ बदलती रही है। इसकी सबसे बड़ी ताकत है – विविधता को स्वीकारना और एकजुट रहना। यदि हम समानता, शिक्षा, और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दें, तो भारत दुनिया के सबसे प्रगतिशील समाजों में अपनी जगह और मजबूत कर सकता है।
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