भारत की आंतरिक सुरक्षा – चुनौतियाँ, समाधान और UPSC GS Paper 3 के लिए सम्पूर्ण गाइड [हिंदी में]

भारत की आंतरिक सुरक्षा (Internal Security) – UPSC GS Paper 3 के लिए सम्पूर्ण गाइड

 

परिचय

 

आंतरिक सुरक्षा किसी भी राष्ट्र की स्थिरता, विकास और नागरिकों की सुरक्षा का मूल आधार है। भारत जैसे विशाल, विविधतापूर्ण और लोकतांत्रिक देश में आंतरिक सुरक्षा केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के भीतर कानून-व्यवस्था बनाए रखने, आतंकवाद, नक्सलवाद, साइबर अपराध, तस्करी और संगठित अपराधों से निपटने की व्यापक प्रक्रिया है। UPSC GS Paper 3 में “Internal Security” एक अहम टॉपिक है, जिसका उद्देश्य भावी सिविल सेवकों को सुरक्षा चुनौतियों की समझ और समाधान का दृष्टिकोण देना है।

 

 

 

आंतरिक सुरक्षा की परिभाषा

 

आंतरिक सुरक्षा का मतलब है – किसी देश के भीतर कानून-व्यवस्था, शांति, स्थिरता और नागरिकों की जान-माल की रक्षा सुनिश्चित करना, ताकि विकास और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चल सकें।

 

 

 

भारत में आंतरिक सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियाँ

 

1. आतंकवाद (Terrorism)

 

बाहरी आतंकवाद – जैसे पाकिस्तान से प्रायोजित सीमा-पार आतंकवाद (जैसे – 26/11 मुंबई हमला, पुलवामा हमला)।

 

आंतरिक आतंकवाद – जैसे भारत के भीतर पनपने वाले चरमपंथी संगठन।

 

प्रभाव: नागरिकों की सुरक्षा खतरे में, विदेशी निवेश प्रभावित, सामाजिक विभाजन।

 

 

 

 

2. वामपंथी उग्रवाद / नक्सलवाद (Left Wing Extremism)

 

कारण – गरीबी, अशिक्षा, विकास की कमी, सरकारी योजनाओं का लाभ न पहुँचना।

 

प्रभावित क्षेत्र – “रेड कॉरिडोर” (छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, महाराष्ट्र आदि)।

 

प्रभाव – विकास परियोजनाओं में बाधा, पुलिस और सुरक्षा बलों पर हमले।

 

 

 

 

3. अलगाववाद (Separatism)

 

उदाहरण – जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन, पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववादी संगठन।

 

कारण – क्षेत्रीय असंतोष, जातीय पहचान, आर्थिक उपेक्षा।

 

प्रभाव – राष्ट्रीय एकता को खतरा, हिंसक घटनाएँ, प्रवासियों का पलायन।

 

 

 

 

4. संगठित अपराध (Organized Crime)

 

ड्रग तस्करी, हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी, हवाला नेटवर्क।

 

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गिरोहों से लिंक, जो आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था दोनों को प्रभावित करते हैं।

 

 

 

 

5. साइबर सुरक्षा चुनौतियाँ (Cyber Security Threats)

 

साइबर हमले, डेटा चोरी, फिशिंग, ऑनलाइन धोखाधड़ी।

 

महत्वपूर्ण सरकारी और वित्तीय संस्थानों पर साइबर अटैक।

 

सोशल मीडिया के जरिए अफवाह और फेक न्यूज़ का प्रसार।

 

 

 

 

6. सीमा प्रबंधन से जुड़ी समस्याएँ

 

ढीली सीमा सुरक्षा – भारत की लंबी और कठिन सीमाओं के कारण घुसपैठ, तस्करी और अवैध प्रवास संभव।

 

सीमावर्ती राज्यों में चुनौतियाँ – पूर्वोत्तर, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात और तटीय राज्यों में।

 

 

 

 

7. धार्मिक और जातीय दंगे

 

साम्प्रदायिक हिंसा और जातीय संघर्ष समाज में विभाजन और अस्थिरता पैदा करते हैं।

 

 

 

 

आंतरिक सुरक्षा के लिए सरकारी उपाय

 

1. कानूनी ढांचा

 

Unlawful Activities (Prevention) Act – UAPA

 

National Investigation Agency (NIA) Act

 

Prevention of Money Laundering Act – PMLA

 

Information Technology Act (IT Act)

 

 

 

 

2. संस्थागत ढांचा

 

NIA – आतंकवाद और संगठित अपराध से निपटने के लिए।

 

NSG (National Security Guard) – आतंकवाद-रोधी ऑपरेशनों के लिए।

 

IB (Intelligence Bureau) – खुफिया जानकारी जुटाने के लिए।

 

RAW – विदेशों में खुफिया गतिविधियों के लिए।

 

 

 

 

3. सुरक्षा बल

 

अर्धसैनिक बल – CRPF, BSF, ITBP, CISF, SSB।

 

राज्य पुलिस – कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए।

 

विशेष बल – ग्रेहाउंड्स (नक्सलवाद विरोधी), MARCOS, Garud आदि।

 

 

 

 

4. विकास आधारित दृष्टिकोण

 

प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के अवसर बढ़ाना।

 

Aspirational Districts Programme।

 

ग्रामीण बुनियादी ढाँचा और डिजिटल कनेक्टिविटी।

 

 

 

 

5. साइबर सुरक्षा उपाय

 

Indian Computer Emergency Response Team (CERT-In)।

 

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति।

 

साइबर क्राइम पोर्टल और हेल्पलाइन।

 

 

 

 

6. समुदाय आधारित पहल

 

नागरिक-सुरक्षा बल समन्वय।

 

अफवाह नियंत्रण के लिए सोशल मीडिया मॉनिटरिंग।

 

युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए कौशल विकास कार्यक्रम।

 

 

 

 

UPSC दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिंदु

 

उत्तर लिखते समय वर्तमान उदाहरण (Pulwama attack, Manipur unrest, cyber fraud cases) ज़रूर जोड़ें।

 

समाधान आधारित दृष्टिकोण – केवल समस्या नहीं, समाधान भी लिखें।

 

बहुआयामी दृष्टिकोण – कानून + तकनीक + विकास + जन-जागरूकता।

 

 

 

 

निष्कर्ष

 

भारत की आंतरिक सुरक्षा केवल कानून-व्यवस्था का विषय नहीं है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक, तकनीकी और राजनैतिक स्थिरता का भी आधार है। एक सक्षम, पारदर्शी और जन-संवेदनशील प्रशासन ही आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बना सकता है।

सिविल सेवक के रूप में, हमें न केवल सुरक्षा नीतियों को लागू करना है, बल्कि समाज में विश्वास, विकास और एकता को भी बढ़ावा देना है।

 

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