भारत की मृदाएँ – प्रकार, विशेषताएँ और वितरण

भारत की मृदाएँ – प्रकार, वितरण, विशेषताएँ और UPSC के लिए महत्त्व

प्रस्तावना

भारत एक कृषि प्रधान देश है, और इसकी कृषि का आधार है – मृदा। देश की विविध जलवायु, स्थलाकृति और भौगोलिक संरचना ने मृदाओं के कई प्रकार उत्पन्न किए हैं। मृदा केवल फसलों की उपज के लिए ही नहीं, बल्कि जल संरक्षण, वनस्पति, पशुपालन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी अनिवार्य है। UPSC की दृष्टि से, मृदाओं का अध्ययन भूगोल, पर्यावरण और कृषि – तीनों विषयों में महत्त्वपूर्ण है।

Table of Contents


भारत में मृदाओं का वर्गीकरण

भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान (NBSS & LUP) ने मृदाओं को उनकी उत्पत्ति, संरचना, रंग, बनावट और उपजाऊ क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया है। प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं –

Types of Soils in India with Characteristics and Distribution – Alluvial, Black, Red, Laterite, Desert, Mountain Soils – UPSC Geography Notes in Hindi
भारत की प्रमुख मृदाएँ – जलोढ़, काली, लाल, लेटेराइट, मरुस्थलीय और वन एवं पर्वतीय मृदा के प्रकार, वितरण और कृषि महत्त्व (UPSC भूगोल के लिए उपयोगी)।

1. जलोढ़ मृदा (Alluvial Soil)

  • वितरण: उत्तर भारत के गंगा-ब्रह्मपुत्र-सिंधु मैदान, तटीय डेल्टा क्षेत्र।

  • विशेषताएँ:

    • हल्का पीला से भूरा रंग।

    • उपजाऊ और नमी धारण क्षमता अधिक।

    • खादर (नई, अधिक उपजाऊ) और भांगर (पुरानी, ऊँचाई वाली) में विभाजित।

  • मुख्य फसलें: गेहूं, धान, गन्ना, दलहन, तिलहन।

  • UPSC तथ्य: यह भारत की सबसे अधिक कृषि उत्पादक मृदा है। नदियों की बाढ़ से नई जलोढ़ मृदा जमती है


2. काली मृदा (Black Soil / Regur Soil)

  • उत्पत्ति: डेक्कन ट्रैप की बेसाल्टिक ज्वालामुखी चट्टानों के अपक्षय से।

  • वितरण: महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु।

  • विशेषताएँ:

    • गहरा काला रंग, चिकनी बनावट।

    • नमी को लंबे समय तक संजोने की क्षमता।

    • कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटाश की प्रचुरता, लेकिन नाइट्रोजन की कमी।

  • मुख्य फसलें: कपास, ज्वार, सोयाबीन, दालें।

  • UPSC तथ्य: इसे ‘Cotton Soil’ भी कहा जाता है।

  • UPSC में अक्सर पूछा जाता है कि यह स्वेल-श्रिंक नेचर वाली होती है (गीली होने पर फूलती है और सूखने पर दरारें पड़ती हैं)।


3. लाल मृदा (Red Soil)

  • वितरण: तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा के पठार।

  • विशेषताएँ:

    • लाल रंग लौह ऑक्साइड की उपस्थिति से।

    • अपेक्षाकृत कम उपजाऊ, लेकिन सिंचाई व उर्वरक से अच्छी उपज संभव।

  • मुख्य फसलें: बाजरा, मूंगफली, गेहूं, चावल।

  • लाल मृदा की ऊपरी सतह लाल और निचली सतह पीली होती है (लौह यौगिक के अलग ऑक्सीकरण स्तर के कारण)।

4. लेटेराइट मृदा (Laterite Soil)

  • वितरण: पश्चिमी घाट, केरल, मेघालय, असम।

  • विशेषताएँ:

    • अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में Leaching के कारण पोषक तत्वों की कमी।

    • लौह व एल्युमिनियम ऑक्साइड अधिक, जिससे यह कठोर होती है।

  • मुख्य फसलें: कॉफी, चाय, रबर, काजू।

  • यह निर्माण सामग्री के रूप में भी प्रयोग होती है (विशेषकर दक्षिण भारत में)।

5. मरुस्थलीय मृदा (Desert Soil)

  • वितरण: राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब के शुष्क क्षेत्र।

  • विशेषताएँ:

    • हल्का पीला से लाल-भूरा रंग।

    • लवणीयता अधिक, कैल्शियम व जिप्सम पाए जाते हैं।

  • मुख्य फसलें: सिंचाई के बाद बाजरा, ग्वार, मूंग, ज्वार।

  • “यह पानी को जल्दी सोख लेती है लेकिन जल्दी खो भी देती है” — जिससे इसकी जल प्रबंधन चुनौती स्पष्ट हो।


6. वन एवं पर्वतीय मृदा (Forest & Mountain Soil)

  • वितरण: हिमालयी क्षेत्र, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश।

  • विशेषताएँ:

    • ठंडे व नम क्षेत्रों में बनती है।

    • ऊँचाई के अनुसार बनावट बदलती है – ऊँचाई पर अम्लीय, नीचे दोमट।

  • मुख्य फसलें: बागवानी, औषधीय पौधे।

  • ऊँचाई वाले क्षेत्रों में जैविक पदार्थ की मात्रा अधिक होती है

मृदा अपरदन और संरक्षण

  • मुख्य कारण: वनों की कटाई, असंतुलित खेती, अधिक चराई, जल व पवन अपरदन।

  • संरक्षण उपाय:

    • कंटूर बंडिंग

    • वृक्षारोपण

    • टेरेस खेती

    • चेक डैम निर्माण

    • मल्चिंग


UPSC के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

  1. भारत में सर्वाधिक क्षेत्र जलोढ़ मृदा से आच्छादित है।

  2. काली मृदा कपास उत्पादन के लिए आदर्श है।

  3. लेटेराइट मृदा बागान फसलों में उपयोगी है।

  4. लाल मृदा का रंग लौह ऑक्साइड के कारण है।

  5. मरुस्थलीय मृदा में कैल्शियम और जिप्सम पाए जाते हैं।


निष्कर्ष

भारत की मृदाएँ न केवल कृषि उत्पादन बल्कि जल संसाधन प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाती हैं। मृदा संरक्षण और उचित प्रबंधन से ही सतत विकास और खाद्य सुरक्षा संभव है। UPSC तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को मृदा के प्रकार, वितरण और विशेषताओं का गहन अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि यह विषय भूगोल, पर्यावरण और कृषि विज्ञान – तीनों में बार-बार पूछा जाता है।

Q1. भारत में मृदाओं का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है?

उत्तर: भारत में मृदाओं का वर्गीकरण उनकी उत्पत्ति (Origin), रंग (Color), संरचना (Composition), बनावट (Texture) और उपजाऊ क्षमता (Fertility) के आधार पर किया जाता है। मुख्य प्रकार हैं – जलोढ़ मृदा, काली मृदा, लाल मृदा, लेटेराइट मृदा, मरुस्थलीय मृदा और वन एवं पर्वतीय मृदा।


Q2. जलोढ़ मृदा (Alluvial Soil) की प्रमुख विशेषताएँ और वितरण क्या हैं?

उत्तर:

  • वितरण: गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी के मैदान (उत्तर भारत) व डेल्टा क्षेत्र।

  • विशेषताएँ:

    • हल्का पीला से भूरा रंग।

    • उपजाऊ और नमी धारण क्षमता अधिक।

    • गेहूं, धान, गन्ना, दलहन और तिलहन की खेती के लिए उपयुक्त।

  • UPSC फैक्ट: इसे खादर (नया, उपजाऊ) और भांगर (पुराना, ऊँचा) प्रकार में बांटा जाता है।


Q3. काली मृदा (Black Soil / Regur Soil) की उत्पत्ति और कृषि महत्त्व क्या है?

उत्तर:

  • उत्पत्ति: डेक्कन ट्रैप की बेसाल्टिक ज्वालामुखी चट्टानों के अपक्षय से बनी।

  • वितरण: महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ भाग।

  • विशेषताएँ:

    • काला रंग, चिकनी बनावट।

    • नमी को लंबे समय तक रोकने की क्षमता।

    • कपास, ज्वार, सोयाबीन और दलहन के लिए उपयुक्त।


Q4. लाल मृदा (Red Soil) का रंग लाल क्यों होता है और इसकी उर्वरता कैसी है?

उत्तर: लाल मृदा का रंग लौह ऑक्साइड (Iron Oxide) की उपस्थिति के कारण लाल होता है। यह अपेक्षाकृत कम उपजाऊ होती है, लेकिन सिंचाई और उर्वरक के प्रयोग से गेहूं, चावल, बाजरा, मूंगफली जैसी फसलें उगाई जा सकती हैं।


Q5. लेटेराइट मृदा (Laterite Soil) का कृषि महत्त्व क्या है?

उत्तर:

  • वितरण: पश्चिमी घाट, केरल, मेघालय, असम।

  • विशेषताएँ:

    • अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में बनती है।

    • लौह और एल्युमिनियम ऑक्साइड अधिक, पोषक तत्व कम (Leaching के कारण)।

    • कॉफी, चाय, रबर जैसी बागान फसलों के लिए उपयुक्त।


Q6. मरुस्थलीय मृदा (Desert Soil) की विशेषताएँ और फसलें क्या हैं?

उत्तर:

  • वितरण: राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब के शुष्क क्षेत्र।

  • विशेषताएँ:

    • हल्का पीला से लाल-भूरा रंग।

    • लवणीयता अधिक, कैल्शियम और जिप्सम पाए जाते हैं।

    • सिंचाई के बाद बाजरा, ग्वार, मूंग जैसी फसलें।


Q7. वन एवं पर्वतीय मृदा (Forest & Mountain Soil) कहाँ पाई जाती है?

उत्तर:

  • वितरण: हिमालय, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश।

  • विशेषताएँ:

    • ठंडे व नम क्षेत्रों में बनती है।

    • ऊँचाई के अनुसार बनावट बदलती है – ऊँचाई पर अम्लीय (acidic), निचले भाग में दोमट (loamy)।

    • बागवानी और औषधीय पौधों के लिए उपयुक्त।


Q8. भारत में मृदा अपरदन (Soil Erosion) के मुख्य कारण और समाधान क्या हैं?

उत्तर:

  • मुख्य कारण: वनों की कटाई, असंतुलित खेती, अत्यधिक चराई, जल व पवन अपरदन।

  • समाधान: कंटूर बंडिंग, वृक्षारोपण, मल्चिंग, टेरेस खेती, चेक डैम निर्माण।


Q9. UPSC Prelims के लिए मृदा से जुड़े कौन-से महत्वपूर्ण तथ्य याद रखने चाहिए?

उत्तर:

  1. काली मृदा कपास के लिए प्रसिद्ध है।

  2. लाल मृदा में लौह ऑक्साइड अधिक है।

  3. जलोढ़ मृदा खादर और भांगर में विभाजित होती है।

  4. लेटेराइट मृदा बागान फसलों के लिए उपयुक्त है।

  5. मरुस्थलीय मृदा में कैल्शियम और जिप्सम पाए जाते हैं।


Q10. भारत में मृदाओं का कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था में योगदान क्या है?

उत्तर: भारत की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ मृदाएँ हैं। विभिन्न मृदा प्रकार अलग-अलग फसलों के लिए उपयुक्त हैं, जिससे विविध कृषि पद्धतियाँ संभव होती हैं और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

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