🇮🇳🇨🇳 भारत-चीन सीमा विवाद: ताजा घटनाक्रम और महत्व
🔹 भूमिका
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। 1962 के युद्ध के बाद से ही दोनों देशों के बीच कई बार तनाव बढ़ा, लेकिन 2020 में गलवान घाटी की घटना के बाद यह विवाद फिर से सुर्खियों में आ गया। हाल ही में दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता के नए दौर शुरू हुए हैं, जो इस मुद्दे को सुलझाने के लिहाज से अहम माने जा रहे हैं।
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🔹 भारत-चीन सीमा विवाद का इतिहास
1️⃣ LAC (Line of Actual Control) का अस्पष्ट निर्धारण – भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों की समझ अलग-अलग है।
2️⃣ अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश – चीन अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताता है, जबकि भारत अरुणाचल प्रदेश को अपना अभिन्न अंग मानता है, जिसे चीन “दक्षिणी तिब्बत” कहता है।
3️⃣ 1962 का युद्ध – सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में यह युद्ध लड़ा गया और इसके बाद से सीमा पर कई बार झड़पें होती रही हैं।
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🔹 हालिया घटनाक्रम
✅ जून 2025 में भारत और चीन के बीच 21वें दौर की सैन्य वार्ता हुई, जिसमें पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की तैनाती कम करने पर चर्चा हुई।
✅ पैंगोंग झील, देपसांग और हॉट स्प्रिंग्स जैसे विवादित इलाकों में तनाव कम करने के उपायों पर सहमति के संकेत मिले हैं।
✅ दोनों देशों ने शांति बनाए रखने के लिए कूटनीतिक चैनल्स को सक्रिय रखा है।
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🔹 भारत के लिए रणनीतिक महत्व
✔️ राष्ट्रीय सुरक्षा – सीमाओं पर स्थिरता से सेना और संसाधनों का सही इस्तेमाल सुनिश्चित होता है।
✔️ आंतरिक विकास – सीमावर्ती इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स निर्बाध रूप से पूरे किए जा सकते हैं।
✔️ वैश्विक छवि – भारत एक शांतिप्रिय और परिपक्व राष्ट्र की छवि बनाए रखता है।
✔️ चीन की आक्रामक नीति का मुकाबला – सीमावर्ती क्षेत्रों में मजबूत स्थिति से चीन के विस्तारवादी रवैये पर लगाम लगाई जा सकती है।
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🔹 समाधान की दिशा में कदम
🔹 सैन्य और कूटनीतिक वार्ता – दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर लेवल और विदेश मंत्रालय के माध्यम से बातचीत जारी है।
🔹 सीमा इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना – भारत सीमावर्ती सड़कों, पुलों और हवाई पट्टियों का तेजी से विकास कर रहा है।
🔹 अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रियता – भारत अपनी स्थिति को वैश्विक स्तर पर स्पष्ट करता है ताकि अंतरराष्ट्रीय समर्थन बना रहे।
🔹 लोकल पॉपुलेशन का सशक्तिकरण – सीमावर्ती गांवों में सुविधाओं का विकास, ताकि लोग सीमाओं पर रह सकें और भारतीय उपस्थिति बनी रहे।
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🔹 निष्कर्ष
भारत-चीन सीमा विवाद दोनों देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। बातचीत और समझौते के जरिए ही इस मुद्दे का समाधान संभव है। भारत को अपनी सुरक्षा के साथ-साथ कूटनीति को भी मजबूत बनाए रखना होगा ताकि सीमाओं पर स्थिरता बनी रहे और विकास कार्य निर्बाध रूप से चलते रहें।