भारत में डिजिटल डिवाइड: विकास की राह में एक अदृश्य बाधा

प्रस्तावना
21वीं सदी को डिजिटल युग कहा जाता है, जहां सूचनाओं की पहुंच, इंटरनेट और प्रौद्योगिकी पर आधारित है। भारत जैसे विकासशील देश में डिजिटलीकरण एक क्रांति के रूप में उभरा है, लेकिन इसका लाभ समाज के हर वर्ग तक नहीं पहुंच पाया है। यही असमानता ‘डिजिटल डिवाइड’ कहलाती है।


1️⃣ डिजिटल डिवाइड का अर्थ

डिजिटल डिवाइड का तात्पर्य समाज के उन वर्गों के बीच की दूरी से है जो डिजिटल तकनीक तक सुलभ हैं और जो इससे वंचित हैं। यह असमानता न केवल भौतिक संसाधनों (जैसे इंटरनेट, स्मार्टफोन) में होती है, बल्कि डिजिटल साक्षरता, उपयोग की क्षमता और भाषा जैसी बाधाओं में भी होती है।


2️⃣ भारत में डिजिटल डिवाइड के प्रमुख कारण

  • भौगोलिक असमानता: ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच आज भी सीमित है।

  • आर्थिक कारण: गरीब वर्ग स्मार्टफोन, लैपटॉप या इंटरनेट रिचार्ज का खर्च नहीं उठा पाता।

  • शैक्षिक अंतर: डिजिटल उपकरणों के उपयोग की जानकारी शहरी शिक्षित वर्ग को ही है।

  • लिंग भेद: महिलाओं की डिजिटल पहुंच पुरुषों की तुलना में काफी कम है।

  • भाषाई अवरोध: अधिकतर डिजिटल सामग्री अंग्रेज़ी में होती है, जो ग्रामीण व स्थानीय भाषा बोलने वालों के लिए बाधा बनती है।


3️⃣ प्रभाव

  • शिक्षा पर प्रभाव: COVID-19 के समय ऑनलाइन शिक्षा से लाखों बच्चे वंचित रह गए।

  • सरकारी सेवाओं से दूरी: डिजिलॉकर, UPI, आयुष्मान कार्ड जैसी सेवाएं आम जन तक नहीं पहुंच पातीं।

  • आर्थिक असमानता में वृद्धि: डिजिटल ज्ञान की कमी के कारण गरीब वर्ग डिजिटल अर्थव्यवस्था से बाहर रह जाता है।

  • लोकतांत्रिक सहभागिता में कमी: E-Governance का लाभ भी सीमित वर्ग तक सीमित रह जाता है।


4️⃣ सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • डिजिटल इंडिया मिशन (2015)

  • भारत नेट परियोजना – हर ग्राम पंचायत तक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी।

  • PM WANI योजना – सार्वजनिक Wi-Fi नेटवर्क की स्थापना।

  • UMANG, e-SHRAM, DigiLocker जैसे पोर्टल्स

  • National Digital Literacy Mission

  • स्वयं पोर्टल और दीक्षा ऐप – डिजिटल शिक्षा के लिए


5️⃣ आगे की राह (Way Forward)

  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता।

  • डिजिटल साक्षरता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

  • क्षेत्रीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री को बढ़ावा मिले।

  • विशेष रूप से महिलाओं और बुजुर्गों के लिए डिजिटल प्रशिक्षण अभियान।

  • निजी क्षेत्र और स्टार्टअप को सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के अंतर्गत डिजिटल पहुंच बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन।


🔚 निष्कर्ष

डिजिटल डिवाइड एक अदृश्य लेकिन प्रभावशाली सामाजिक बाधा है, जो समावेशी विकास की राह में अवरोध उत्पन्न करती है। अगर भारत को “डिजिटल शक्ति” बनना है, तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल क्रांति का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। तभी ‘सभी के लिए विकास’ का सपना साकार हो सकेगा।मोबाइल फोन का बढ़ता उपयोग – वरदान या अभिशाप

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