भौतिक भूगोल (Physical Geography) – विस्तृत अध्ययन
भौतिक भूगोल पृथ्वी की प्राकृतिक विशेषताओं और प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसमें पृथ्वी के स्थलरूप, जलवायु, महासागर, पारिस्थितिकी तंत्र और प्राकृतिक आपदाएँ शामिल होती हैं।
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1. पृथ्वी का संरचनात्मक अध्ययन (Structure of the Earth)
पृथ्वी की आतंरिक संरचना तीन प्रमुख परतों में विभाजित होती है:
1. भूपर्पटी (Crust) – पृथ्वी की सबसे ऊपरी ठोस परत (5-70 किमी मोटी)।
2. मेंटल (Mantle) – भूपर्पटी के नीचे पाई जाने वाली परत (2900 किमी मोटी), जिसमें अस्थिस्फीयर (Asthenosphere) नामक अर्ध-द्रव अवस्था की परत होती है।
3. कोर (Core) – पृथ्वी का सबसे भीतरी भाग, जो मुख्य रूप से लौह (Iron) और निकेल (Nickel) से बना है।
> पृथ्वी के कोर को दो भागों में बाँटा जाता है:
बाहरी कोर (Outer Core) – द्रव अवस्था में।
आंतरिक कोर (Inner Core) – ठोस अवस्था में।
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2. पृथ्वी की गतियाँ (Motions of the Earth)
1. घूर्णन (Rotation) – पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है, जिससे दिन और रात बनते हैं।
2. परिक्रमण (Revolution) – पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है, जिससे मौसम परिवर्तन होते हैं।
> महत्वपूर्ण अवधारणाएँ:
कर्क रेखा (Tropic of Cancer) – 23.5° उत्तरी अक्षांश।
मकर रेखा (Tropic of Capricorn) – 23.5° दक्षिणी अक्षांश।
ध्रुवीय वृत्त (Arctic & Antarctic Circles) – 66.5° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश।
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3. स्थलरूप (Landforms) और उनके निर्माण की प्रक्रियाएँ
स्थलरूप निर्माण में अंतर्जात (Endogenic) और बहिर्जात (Exogenic) शक्तियों का योगदान होता है।
(i) अंतर्जात प्रक्रियाएँ (Endogenic Processes)
ये वे प्रक्रियाएँ हैं जो पृथ्वी के अंदर से उत्पन्न होती हैं और स्थलरूपों को प्रभावित करती हैं।
1. भूकंप (Earthquakes) – जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में टकराती या खिसकती हैं, तो भूकंप आते हैं।
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है।
भूकंपीय तरंगें – प्राथमिक (P), द्वितीयक (S), और लंबी (L) तरंगें।
2. ज्वालामुखी (Volcanoes) – जब पृथ्वी के अंदर से मैग्मा बाहर निकलता है तो ज्वालामुखी फटता है।
सक्रिय ज्वालामुखी – किलाउआ (हवाई), माउंट एटना (इटली)।
निष्क्रिय ज्वालामुखी – कोटोपैक्सी (इक्वाडोर)।
3. प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) – पृथ्वी की भूपर्पटी कई टेक्टोनिक प्लेटों में विभाजित है जो गति करती हैं।
संमिलन सीमा (Convergent Boundary) – जब दो प्लेटें टकराती हैं (जैसे हिमालय का निर्माण)।
अपसारी सीमा (Divergent Boundary) – जब दो प्लेटें अलग होती हैं (मध्य-अटलांटिक रिज)।
सरकने वाली सीमा (Transform Boundary) – जब दो प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं (सैन एंड्रियास फॉल्ट, अमेरिका)।
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(ii) बहिर्जात प्रक्रियाएँ (Exogenic Processes)
ये बाहरी प्रक्रियाएँ हैं जो पृथ्वी की सतह पर चलने वाले बलों के कारण होती हैं।
1. अपक्षय (Weathering) – चट्टानों का धीरे-धीरे टूटना या घिसना।
भौतिक अपक्षय – तापमान परिवर्तन के कारण।
रासायनिक अपक्षय – जल और रासायनिक क्रियाओं के कारण।
2. कटाव (Erosion) – जल, हवा और बर्फ द्वारा भूमि का कटाव।
नदी कटाव – गॉर्ज, जलप्रताप (झरने) का निर्माण।
हवा द्वारा कटाव – रेगिस्तानों में बालू के टीले बनते हैं।
3. नदी, हिमनद और वायु द्वारा निर्मित स्थलरूप
नदी द्वारा – जलोढ़ मैदान, डेल्टा, घाटियाँ।
हिमनद द्वारा – U-आकार की घाटियाँ, मोरेन।
वायु द्वारा – बालू के टीले, मशरूम चट्टानें।
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4. जलवायु विज्ञान (Climatology) और मौसम विज्ञान
जलवायु विज्ञान में पृथ्वी के वायुमंडल और उसके दीर्घकालिक प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
(i) वायुमंडल की संरचना (Structure of Atmosphere)
1. क्षोभमंडल (Troposphere) – मौसम संबंधी घटनाएँ यहीं घटित होती हैं।
2. समतापमंडल (Stratosphere) – ओजोन परत यहीं होती है।
3. मध्यमंडल (Mesosphere) – उल्का (Meteors) यहीं जलते हैं।
4. थर्मोस्फीयर (Thermosphere) – आयनमंडल यहीं स्थित है, जिससे रेडियो तरंगें परावर्तित होती हैं।
(ii) जलवायु के घटक
तापमान (Temperature) – सूर्य से प्राप्त ऊर्जा।
वायुदाब (Air Pressure) – उच्च और निम्न दाब क्षेत्रों का निर्माण।
हवा की गति (Wind Systems) – व्यापारिक पवन, पछुआ पवन, मानसून।
वर्षा (Precipitation) – चक्रवात, मानसून, और ओस।
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5. महासागर विज्ञान (Oceanography)
महासागर पृथ्वी के 71% हिस्से को घेरते हैं और इनका अध्ययन समुद्र विज्ञान में किया जाता है।
(i) महासागर की धाराएँ (Ocean Currents)
गर्म धाराएँ – गल्फ स्ट्रीम, कुशिरो धारा।
ठंडी धाराएँ – कैलिफोर्निया धारा, हम्बोल्ट धारा।
(ii) ज्वार-भाटा (Tides)
ज्वार (High Tide) – जब समुद्र का जल स्तर बढ़ता है।
भाटा (Low Tide) – जब समुद्र का जल स्तर घटता है।
(iii) सुनामी (Tsunami)
भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट के कारण महासागर में उत्पन्न विशाल लहरें।
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6. पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) और जैव विविधता
भौतिक भूगोल में पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन भी महत्वपूर्ण है।
वनस्पति और जीवों के प्रकार – उष्णकटिबंधीय वर्षा वन, शीतोष्ण वन, टुंड्रा।
पर्यावरणीय समस्याएँ – जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वन्यजीव संरक्षण।
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निष्कर्ष
भौतिक भूगोल पृथ्वी की संरचना, स्थलरूप, जलवायु, महासागर और पारिस्थितिकी को समझने में मदद करता है। यह UPSC जैसी परीक्षाओं में भी एक महत्वपूर्ण विषय है।
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