रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? | Raksha Bandhan Festival in Hindi
रक्षाबंधन का परिचय
रक्षाबंधन भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती है। बदले में भाई बहन की जीवनभर रक्षा का वचन देता है।
यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को पूरे भारत और कई अन्य देशों में भी उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
रक्षाबंधन का उद्देश्य सिर्फ एक धागा बांधना नहीं है, बल्कि यह विश्वास, सुरक्षा और प्रेम का बंधन है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि रिश्ते सिर्फ खून से नहीं, बल्कि अपनापन और जिम्मेदारी से भी बनते हैं।
रक्षाबंधन से जुड़ी पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं
1. श्रीकृष्ण और द्रौपदी
महाभारत में एक बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई थी। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस प्रेम और चिंता के बदले, श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को हर परिस्थिति में रक्षा का वचन दिया और द्रौपदी-चीरहरण के समय उन्होंने अपना वचन निभाया।
2. रानी कर्णावती और हुमायूँ
मुगल काल में चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह के आक्रमण से बचने के लिए दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी। हुमायूँ ने राखी के सम्मान में अपनी सेना भेजकर उनकी रक्षा की।
3. इंद्राणी और इंद्रदेव
देवताओं और दानवों के युद्ध में इंद्रदेव को विजय दिलाने के लिए उनकी पत्नी इंद्राणी ने उनके हाथ पर रक्षासूत्र बांधा। इस विश्वास ने इंद्रदेव को शक्ति दी और उन्होंने युद्ध में जीत हासिल की।
4. लक्ष्मी माता और राजा बलि
भागवत पुराण के अनुसार, दानवीर राजा बलि भगवान विष्णु के परम भक्त थे। वामन अवतार में भगवान विष्णु ने बलि से तीन पग भूमि मांगी और फिर तीन पग में पूरा ब्रह्मांड नाप लिया। इसके बाद भगवान विष्णु बलि के साथ पाताल लोक चले गए।
विष्णुजी के लंबे समय तक पाताल में रहने से लक्ष्मी माता चिंतित हुईं। वह ब्राह्मणी का वेश धारण करके बलि के पास गईं और उसे राखी बांध दी। बलि ने भावुक होकर उन्हें अपनी बहन मान लिया और उपहार स्वरूप विष्णुजी को वापस भेज दिया। इस प्रकार राखी का यह बंधन प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक बन गया।
रक्षाबंधन मनाने की परंपरा

बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है।
तिलक और आरती करती है।
मिठाई खिलाती है।
भाई उपहार देता है और रक्षा का वचन देता है।
आधुनिक समय में रक्षाबंधन का महत्व
आज रक्षाबंधन सिर्फ सगे भाई-बहन तक सीमित नहीं है। कई बहनें अपने चचेरे, मौसेरे, ममेरे भाइयों, दोस्तों और यहां तक कि देश की सीमा पर तैनात सैनिकों को भी राखी भेजती हैं। यह त्यौहार प्रेम, विश्वास और एकता का संदेश देता है।
रक्षाबंधन 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त
तारीख: 9 अगस्त 2025
शुभ मुहूर्त: सुबह 08:00 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक (लगभग)
पारण समय: दोपहर के बाद किसी भी समय
निष्कर्ष
रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, सुरक्षा और रिश्तों के प्रति जिम्मेदारी का उत्सव है। चाहे वह द्रौपदी और श्रीकृष्ण हों, रानी कर्णावती और हुमायूँ हों, या लक्ष्मी माता और राजा बलि – हर कथा हमें यह सिखाती है कि राखी का बंधन विश्वास और निस्वार्थ प्रेम पर आधारित होता है।