विश्व जनसंख्या दिवस 2025

  • विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जनसंख्या नियंत्रण और सतत विकास की चुनौती

 

हर वर्ष 11 जुलाई को “विश्व जनसंख्या दिवस” मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1989 में घोषित किया गया था ताकि वैश्विक जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया जा सके। वर्ष 2025 में जब हम इस दिवस को मना रहे हैं, तब विश्व की जनसंख्या 8.1 अरब से अधिक हो चुकी है और भारत 1.43 अरब लोगों के साथ विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है।

 

2025 की थीम और उसकी प्रासंगिकता

 

इस वर्ष की थीम है: “जनसंख्या और जलवायु संकट: संतुलन की ओर बढ़ते कदम”।

यह थीम वर्तमान वैश्विक चुनौतियों को उजागर करती है – विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी, और बढ़ती सामाजिक असमानता को।

 

भारत के लिए चुनौतियाँ

 

भारत में जनसंख्या वृद्धि एक दोधारी तलवार की तरह है। एक ओर यह देश को श्रम शक्ति और युवा जनसांख्यिकी (Demographic Dividend) प्रदान करती है, वहीं दूसरी ओर यह बेरोजगारी, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य और जल संसाधनों पर भारी दबाव डालती है।

 

बेरोजगारी: NSSO के अनुसार, भारत में युवाओं की बेरोजगारी दर लगातार चिंता का विषय बनी हुई है।

 

स्वास्थ्य और पोषण: NFHS-5 (2021) के अनुसार, भारत में बच्चों में कुपोषण की दर अभी भी बहुत अधिक है।

 

शहरीकरण और आवास संकट: तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण झुग्गी-झोपड़ियों की संख्या भी बढ़ रही है।

 

 

सतत विकास लक्ष्य और जनसंख्या

 

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDGs) विशेष रूप से जनसंख्या के मुद्दे से जुड़े हैं।

 

SDG-3: सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण।

 

SDG-4: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।

 

SDG-11: सतत शहर और समुदाय।

 

 

जनसंख्या वृद्धि इन लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधा बन सकती है यदि नीति निर्माण में दीर्घकालिक सोच और समावेशिता न हो।

 

उपाय और समाधान

 

1. जनसंख्या नीति का सशक्त क्रियान्वयन: भारत की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 को प्रभावी तरीके से लागू करने की आवश्यकता है।

 

 

2. महिला सशक्तिकरण: शिक्षा और रोजगार के अवसर देकर महिलाओं को निर्णय लेने में सक्षम बनाना आवश्यक है।

 

 

3. यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं: किशोरों और युवाओं के लिए सहज और सुरक्षित सेवाएं प्रदान करनी होंगी।

 

 

4. जन-जागरूकता अभियान: परिवार नियोजन और छोटे परिवार के लाभों के बारे में प्रचार-प्रसार जरूरी है।

 

 

5. कानूनी उपाय नहीं, सामाजिक परिवर्तन जरूरी: जबरन जनसंख्या नियंत्रण की बजाय जन-संवाद और शिक्षा से बदलाव लाना अधिक प्रभावी होगा।

 

 

 

निष्कर्ष

 

जनसंख्या एक संसाधन है, यदि उसका समुचित उपयोग और प्रबंधन किया जाए। विश्व जनसंख्या दिवस केवल आंकड़ों की चर्चा तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह एक चेतावनी और अवसर है – हमें अब भविष्य की तैयारी करनी है। भारत को अपनी विशाल जनसंख्या को बोझ नहीं, बल्कि शक्ति में बदलने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने होंगे। तभी हम सतत विकास के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं।

 

 

 

📌 UPSC के दृष्टिकोण से उपयोगी बिंदु:

 

यह टॉपिक GS Paper 1 (Indian Society), GS Paper 2 (Governance, Welfare schemes) और Essay Paper में उपयोगी है।

 

इससे जुड़े फैक्ट्स, योजनाएं और नीति सुझाव आंसर राइटिंग में डायरेक्ट लिखे जा सकते हैं।

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