संविधान का भाग-1 (भाग एक) – “संघ और उसका राज्य क्षेत्र”
भारत के संविधान का भाग-1 (Part-1) देश के संघीय ढांचे और उसके राज्य क्षेत्र (Territory) से संबंधित है। यह अनुच्छेद 1 से 4 तक फैला हुआ है।
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संविधान का भाग-1 किन बातों को परिभाषित करता है?
1. अनुच्छेद 1 – भारत का नाम और राज्य क्षेत्र
✔ भारत को “भारत, जो कि राज्यों का संघ होगा” के रूप में परिभाषित किया गया है।
✔ भारत के राज्य क्षेत्र में तीन भाग होते हैं:
1. राज्य (States)
2. केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories)
3. ऐसे अन्य क्षेत्र जिन्हें भारत सरकार शामिल कर सकती है।
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2. अनुच्छेद 2 – नए राज्यों का प्रवेश और गठन
✔ संसद को अधिकार दिया गया है कि वह नए राज्यों को भारत में शामिल कर सकती है या नया राज्य बना सकती है।
✔ उदाहरण: 1975 में सिक्किम को भारत में शामिल किया गया और 2000 में झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड को नए राज्य बनाए गए।
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3. अनुच्छेद 3 – राज्यों का पुनर्गठन
✔ संसद को यह अधिकार दिया गया है कि वह:
नए राज्य बना सकती है।
किसी राज्य का क्षेत्र छोटा या बड़ा कर सकती है।
किसी राज्य की सीमाएँ बदल सकती है।
किसी राज्य का नाम बदल सकती है।
✔ शर्त:
राष्ट्रपति को पहले संबंधित राज्य की विधानसभा से सुझाव मांगना होगा।
लेकिन संसद राज्य की सहमति के बिना भी इसे लागू कर सकती है।
✔ उदाहरण: 2014 में आंध्र प्रदेश से तेलंगाना का निर्माण किया गया।
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4. अनुच्छेद 4 – राज्यों में बदलाव के लिए संविधान संशोधन की प्रक्रिया
✔ अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बने किसी भी कानून को संविधान संशोधन (Article 368) के तहत संशोधन की आवश्यकता नहीं होती।
✔ संसद साधारण बहुमत से नया राज्य बना सकती है या राज्य की सीमाएँ बदल सकती है।
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संविधान के भाग-1 का महत्व
✅ यह भारत के संघीय ढांचे (Federal Structure) की नींव रखता है।
✅ नए राज्यों के गठन, सीमा परिवर्तन और नाम परिवर्तन की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
✅ भारत को एक लचीला और संगठित संघ बनाए रखने में मदद करता है।
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संक्षेप में
संविधान का भाग-1 भारत की राजनीतिक संरचना को तय करता है।
अनुच्छेद 1 – भारत का नाम और राज्य क्षेत्र।
अनुच्छेद 2 – नए राज्यों का प्रवेश और गठन।
अनुच्छेद 3 – राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन।
अनुच्छेद 4 – संविधान संशोधन से संबंधित प्रावधान।
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