प्राचीन हिंदी साहित्य

प्राचीन हिंदी साहित्य

प्राचीन हिंदी साहित्य का विकास मुख्य रूप से 9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच हुआ। इस समय हिंदी साहित्य मुख्यतः काव्य रूप में था और इसे तीन प्रमुख धाराओं में विभाजित किया जाता है:

  1. अपभ्रंश साहित्य (8वीं-12वीं शताब्दी)
  2. वीरगाथा काल (अदिकाल) (10वीं-14वीं शताब्दी)
  3. भक्तिकाल (14वीं-17वीं शताब्दी)

1. अपभ्रंश साहित्य (8वीं-12वीं शताब्दी)

  • हिंदी साहित्य के प्रारंभिक रूप अपभ्रंश भाषा में मिलते हैं।
  • यह भाषा संस्कृत और प्राकृत के बीच की कड़ी थी।
  • जैन साहित्यकारों ने अपभ्रंश में कई धार्मिक ग्रंथ लिखे।
  • प्रसिद्ध रचनाएँ:
    • पउम चरिउ (रामायण का अपभ्रंश रूप) – स्वयंभूदेव
    • भरतेश्वर बाहुबलि गाथा – श्रीधर
    • गौड़वहो – वाक्पति

2. वीरगाथा काल (अदिकाल) (10वीं-14वीं शताब्दी)

(i) समय और विशेषताएँ

  • इसे अदिकाल (आरंभिक काल) भी कहते हैं।
  • इस समय हिंदी साहित्य वीर रस, शौर्य, युद्ध और राजाओं के गुणगान से भरा हुआ था।
  • कवि राजाओं और योद्धाओं के वीरता भरे कार्यों का वर्णन करते थे।
  • भाषा: प्राचीन हिंदी (अवधी, ब्रज, अपभ्रंश मिश्रित)।

(ii) प्रमुख कवि और रचनाएँ

कवि रचना विशेषता
चंदबरदाई पृथ्वीराज रासो पृथ्वीराज चौहान की वीरता
जगनिक आल्हा-खण्ड वीर आल्हा-ऊदल की कहानियाँ
नरपति नाल्ह बीसलदेव रासो अजमेर के राजा बीसलदेव की वीरता
विद्यापति कीर्तिलता, कीर्तिपताका प्रेम और भक्ति काव्य

3. भक्तिकाल (14वीं-17वीं शताब्दी)

  • यह काल हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
  • इस समय हिंदी में धार्मिक और भक्ति साहित्य की प्रधानता थी।
  • भक्तिकाल के दो प्रमुख प्रवाह थे:
    • निर्गुण भक्ति धारा (ईश्वर निराकार है)
    • सगुण भक्ति धारा (ईश्वर साकार है)

(i) निर्गुण भक्ति धारा

(a) ज्ञानमार्गी शाखा (संत परंपरा)

कवि रचना विशेषता
कबीरदास साखी, बीजक, दोहे समाज सुधार, हिन्दू-मुस्लिम एकता
नानक गुरुग्रंथ साहिब के भजन सिख धर्म के संस्थापक
दादूदयाल दादूवाणी निर्गुण भक्ति और प्रेम
रैदास पद भक्तिमय समाजवाद

(b) प्रेममार्गी शाखा

कवि रचना विशेषता
मलिक मोहम्मद जायसी पद्मावत प्रेम और सूफीवाद

(ii) सगुण भक्ति धारा

(a) राम भक्ति शाखा

कवि रचना विशेषता
तुलसीदास रामचरितमानस भगवान राम का चरित्र
कृतिवास कृतिवास रामायण बंगाली रामकथा

(b) कृष्ण भक्ति शाखा

कवि रचना विशेषता
सूरदास सूरसागर कृष्ण की बाल लीलाएँ
मीरा बाई मीरा के पद कृष्ण प्रेम की भक्ति
रसखान रसखान के दोहे कृष्ण भक्ति (मुस्लिम कवि)

निष्कर्ष

प्राचीन हिंदी साहित्य राजा-महाराजाओं के शौर्य, भक्ति और सामाजिक सुधारों पर केंद्रित था। यह साहित्य हिंदी भाषा की नींव रखता है और इसकी जड़ें संस्कृति, धर्म और समाज में गहराई तक फैली हुई हैं।

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