चीन में बाढ़: भारत और ग्लोबल इकोनॉमी पर असर

चीन में बाढ़: भारत और ग्लोबल इकोनॉमी पर असर

 

हाल ही में चीन के कई प्रांतों – जैसे ग्वांगडोंग, हुनान और सिचुआन – में भीषण बाढ़ आई है। भारी बारिश और प्राकृतिक आपदा के कारण लाखों लोग प्रभावित हुए हैं, सैकड़ों फैक्ट्रियाँ बंद करनी पड़ी हैं और सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ा है। चीन केवल दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, टेक्सटाइल और ऑटो सेक्टर का भी सबसे बड़ा निर्माता है। इसलिए चीन में आई बाढ़ का असर केवल स्थानीय नहीं रहेगा, बल्कि इसका प्रभाव भारत समेत पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।

 

चीन की बाढ़ और सप्लाई चेन संकट

 

चीन में बाढ़ के कारण सड़कों, रेलवे लाइनों और एयरपोर्ट्स में पानी भर गया है। इसके चलते कच्चा माल और तैयार सामान की आवाजाही में रुकावट आ गई है। दुनिया भर में मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक सामान, ऑटो पार्ट्स और फार्मा प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ सकते हैं। भारत के कई उद्योग चीन से जरूरी कंपोनेंट्स आयात करते हैं। अगर सप्लाई बाधित रही तो भारत में मोबाइल, टीवी, एयर कंडीशनर और ऑटोमोबाइल के दाम बढ़ सकते हैं, जिससे आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।

 

क्लाइमेट चेंज का खतरा

 

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की भीषण बाढ़ें ग्लोबल वॉर्मिंग और बदलते मौसम पैटर्न का नतीजा हैं। एशिया के कई हिस्सों में बारिश का पैटर्न असामान्य हो गया है – कहीं सूखा, तो कहीं बेमौसम मूसलाधार बारिश हो रही है। चीन का मामला बताता है कि शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के बीच संतुलन न बना तो कितनी बड़ी मानवीय और आर्थिक आपदाएँ आ सकती हैं। ये भारत जैसे विकासशील देशों के लिए भी चेतावनी है कि स्मार्ट सिटी और शहरी योजनाओं में आपदा प्रबंधन को अहम जगह दी जाए।

 

भारत पर असर

 

भारत-चीन व्यापार 100 अरब डॉलर से ज्यादा का है। भारत चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, केमिकल्स और एक्टिव फार्मास्यूटिकल इन्ग्रीडिएंट्स (APIs) आयात करता है। अगर चीन में उत्पादन और शिपमेंट में देरी हुई, तो भारत में दवाइयाँ, मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल सामान महंगे हो सकते हैं। इसके अलावा, भारतीय कंपनियों के ऑर्डर टाइम बढ़ सकते हैं, जिससे छोटे व्यवसायों पर भी दबाव बढ़ेगा।

 

ग्लोबल मार्केट और महंगाई

 

चीन में आई बाढ़ से कच्चे माल की कमी होने पर दुनिया भर में महंगाई दर बढ़ सकती है। IMF और वर्ल्ड बैंक जैसी एजेंसियाँ पहले से ही वैश्विक मंदी का अंदेशा जता रही थीं, ऐसे में यह बाढ़ वैश्विक बाजारों के लिए बुरी खबर है। अमेरिका और यूरोप के रिटेल सेक्टर तक इसका असर पड़ सकता है।

 

क्या करना चाहिए?

 

भारत को चीन पर निर्भरता घटाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को और तेज करना होगा। जरूरी उत्पादों के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाना, नए सप्लाई चैनल्स विकसित करना और ट्रेड डाइवर्सिफिकेशन से भारत ऐसी वैश्विक आपदाओं के असर को कम कर सकता है।

 

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