वैश्विक सूखा संकट 2025 और भारत पर प्रभाव

वैश्विक सूखा संकट 2023–2025 और भारत पर प्रभाव

🔍 परिचय

 

विश्व भर में जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा (Drought) अब एक अस्थायी आपदा न होकर “धीमी गति की तबाही (slow-moving catastrophe)” बनता जा रहा है। 2023 से 2025 के बीच अनेक देशों में असाधारण सूखा देखा गया, जिससे कृषि, पीने का पानी, पारिस्थितिकी तंत्र और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा। संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNCCD और US National Drought Mitigation Center की नवीनतम रिपोर्ट में इन संकटों को चिन्हित किया गया है।

 

 

 

🌍 विश्व में सूखे की स्थिति

 

🔸 प्रमुख वैश्विक हॉटस्पॉट:

 

अफ्रीका: ज़िम्बाब्वे और अन्य देशों में 70% तक फसलें बर्बाद

 

लैटिन अमेरिका: ब्राज़ील और पेरू में अमेज़न बेसिन सूख रहा है

 

मध्य एशिया: कज़ाखस्तान और तुर्कमेनिस्तान में जलाशय 50% खाली

 

पनामा नहर: सूखे के कारण 38 जहाजों से घटाकर 24 जहाज प्रतिदिन किया गया

 

 

🔸 कारण:

 

वर्षा में अनियमितता

 

भूमंडलीय तापमान में वृद्धि

 

बर्फ के पिघलने की गति बढ़ना

 

भूमि उपयोग परिवर्तन

 

 

 

 

🇮🇳 भारत पर प्रभाव

 

1. मानसून का अस्थिर व्यवहार

 

2024 और 2025 के मॉनसून में देरी, असमान वितरण और कम वर्षा के कारण भारत के कई हिस्से विशेष रूप से गंगीय मैदान, विदर्भ, बुंदेलखंड और मराठवाड़ा प्रभावित हुए।

 

2. नदियों और जलाशयों पर असर

 

गंगा, गोदावरी, कृष्णा जैसी प्रमुख नदियों के जलस्तर में असाधारण गिरावट दर्ज की गई। कई राज्यों ने जल संकट के चलते जल आपूर्ति नियंत्रित करनी शुरू कर दी।

 

3. कृषि उत्पादन पर असर

 

धान, दाल, और तिलहन उत्पादन में गिरावट

 

किसानों पर कर्ज़ का दबाव

 

खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि

 

 

4. शहरों में जल संकट

 

बेंगलुरु, चेन्नई और भोपाल जैसे बड़े शहरों में जल आपूर्ति पर संकट गहराया। Day Zero जैसी स्थिति की आशंका पैदा हो गई है।

 

 

 

📊 रिपोर्ट की मुख्य बातें (UNCCD & NDMC)

 

2023–25 तक विश्व में सूखा से 2.3 अरब लोग प्रभावित

 

65% कृषि भूमि मध्यम से गंभीर सूखे की चपेट में

 

भारत “हाई रिस्क ज़ोन” की श्रेणी में शामिल

 

भूमि क्षरण (Land Degradation) में भारत का योगदान वैश्विक औसत से अधिक

 

 

 

 

🔧 भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

 

✅ 1. भारत फोरकास्टिंग सिस्टम (Bharat Forecasting System)

 

IMD की नई प्रणाली जो 12 किलोमीटर तक के क्षेत्र में सटीक मौसम पूर्वानुमान देने में सक्षम है।

 

✅ 2. Jal Shakti Abhiyan

 

सूखा ग्रस्त ज़िलों में जल संरक्षण, झील पुनरुद्धार, भूजल पुनर्भरण जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

 

✅ 3. PMKSY – प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

 

“हर खेत को पानी” के तहत माइक्रो इरिगेशन और जल उपयोग दक्षता को बढ़ावा।

 

✅ 4. State-level Drought Plans

 

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे राज्यों ने राज्य स्तरीय सूखा प्रबंधन नीति लागू की है।

 

 

 

🧠 UPSC Mains विश्लेषण और संभावित प्रश्न:

 

> प्रश्न (GS Paper 3):

“जलवायु परिवर्तन के प्रभाव स्वरूप बढ़ती सूखा घटनाओं का भारत की जल सुरक्षा एवं खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए। समाधान सुझाइए।”

 

 

 

उत्तर लेखन बिंदु:

 

जलवायु परिवर्तन से सूखे की बढ़ती प्रवृत्ति

 

कृषि और पीने के जल की समस्या

 

राज्य स्तर पर जल प्रबंधन की विफलताएँ

 

वर्षा जल संचयन, जनभागीदारी, पुनर्चक्रण की भूमिका

 

 

 

 

📌 निष्कर्ष

 

2023–2025 का वैश्विक सूखा संकट हमें यह स्पष्ट संकेत देता है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियाँ भविष्य नहीं, वर्तमान की सच्चाई हैं। भारत जैसे देश जहां 70% से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है, उन्हें तत्काल और दीर्घकालीन रणनीतियों की आवश्यकता है। विज्ञान, तकनीक और जनभागीदारी ही इस संकट का स्थायी समाधान हो सकते हैं।

 

Leave a Comment

Donald Trump: 47th U.S. President – Journey, Comeback & Controversies (2025) दुनिया के 10 अद्भुत GK Facts | रोचक सामान्य ज्ञान One-Liner GK Questions – 2025 ऑनलाइन गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स का भविष्य 2025 | India’s Gaming Revolution SIP और म्यूचुअल फंड निवेश – Beginner Guide 2025