भारत की सेमीकंडक्टर क्रांति – 2025 विश्लेषण

भारत में सेमीकंडक्टर क्रांति: आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम”

 

🔹 परिचय

 

सेमीकंडक्टर (Semiconductor) आज के डिजिटल युग की रीढ़ हैं — मोबाइल, लैपटॉप, कार, रक्षा उपकरण से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक सबमें इनका उपयोग होता है। भारत में इनकी भारी मांग है, लेकिन उत्पादन लगभग शून्य रहा है। इसी कमी को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण को आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत उच्च प्राथमिकता दी है।

 

 

 

🔹 सेमीकंडक्टर क्यों महत्वपूर्ण हैं?

 

हर डिजिटल डिवाइस की मूलभूत चिप सेमीकंडक्टर से बनी होती है।

 

5G, IoT, Defence, Smart Cities जैसे क्षेत्रों में सेमीकंडक्टर का उपयोग बढ़ रहा है।

 

भारत में 2025 तक सेमीकंडक्टर की डिमांड 100 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकती है।

 

 

 

 

🔹 भारत सरकार की पहलें

 

1. Semicon India Program (2021) – ₹76,000 करोड़ की सहायता योजना सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए।

 

 

2. India Semiconductor Mission (ISM) – R&D, फैब यूनिट्स, और डिज़ाइन इनोवेशन को सहायता।

 

 

3. Vedanta-Foxconn JV – गुजरात में देश की पहली सेमीकंडक्टर फैब लगाने की कोशिश।

 

 

4. Micron Project (2023-24) – अमेरिका की कंपनी Micron ने गुजरात में चिप असेंबली प्लांट के लिए ₹22,500 करोड़ निवेश की घोषणा की।

 

 

 

 

 

🔹 चुनौतियाँ

 

विषय विवरण

 

Technology Gap भारत में high-end chip बनाने की तकनीक और अनुभव की कमी है।

Infrastructure Ultra-clean water, electricity, और supply chain ecosystem की जरूरत।

Global Dependence अब भी raw material और machines के लिए विदेशों पर निर्भरता।

Skilled Workforce इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में skilled human resource की कमी।

 

 

 

 

🔹 UPSC दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिंदु

 

GS Paper 3 (Science & Tech + Economy) में संभावित प्रश्न:

“भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण को आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक क्यों माना जा रहा है? विश्लेषण करें।”

 

GS Paper 2 में भारत की Technology Policy और Strategic Autonomy से जोड़ा जा सकता है।

 

Essay Paper में – “Technology is Power: India’s Path to Digital Sovereignty” जैसा विषय पूछा जा सकता है।

 

 

 

 

🔹 निष्कर्ष

 

सेमीकंडक्टर निर्माण भारत के लिए केवल आर्थिक या तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह पहल भारत को चीन और ताइवान जैसे देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाएगी और भविष्य में डिजिटल सुपरपावर बनने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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