India–UK Free Trade Agreement: A Historic Turning Point
1. प्रस्तावना
24 जुलाई 2025 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूके के प्रधानमंत्री केइर स्टारमर के बीच Comprehensive Economic and Trade Agreement (CETA) पर हस्ताक्षर हुआ, जिसे India–UK Free Trade Agreement कहा जा रहा है। यह भारत का यूरोप के बाहर पहला बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है और ब्रेस्ट‑ब्रेक आर्थिक साझेदारी की शुरुआत मानी जा रही है, यह व्यापार जगत के अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक अहम समझोता है देश के लिए

2. व्यापार और निवेश का विस्तार
यह समझौता भारत‑यूके द्विपक्षीय व्यापार को अगले 5 वर्षों में $20.5 बिलियन से बढ़ाकर $120 बिलियन तक ले जाने का लक्ष्य रखता है। इसके तहत भारत से यूके निर्यात पर 99% शुल्क समाप्त होगा, और UK अपनी निर्यात वस्तुओं (जैसे ब्रिटिश कारें, व्हिस्की आदि) पर शुल्क धीरे‑धीरे घटाएगा , इस प्रकार के शुल्क ना के बराबर या धीरे धीरे घटा कर एक स्वस्थ पर्तिस्पर्धा पेश की जाएगी
3. रोजगार, कौशल और सेवा क्षेत्र
यूकेने भारतीय वर्करों के लिए वीजा नियमों में छूट और योग्यता मान्यता की पेशकश की है। इसके अलावा UK के निवास‑बीमा (National Insurance) में अस्थायी भारतीय श्रमिकों को छूट दी गई है या एक सराहनीय कदम साबित होगा
। यह पहल विशेष रूप से सेवा क्षेत्र, सूचना‑प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में रोजगार के नए द्वार खोलेगी।
4. रक्षा, रणनीतिक और राजनयिक दृष्टिकोण
यह समझौता भारत की “Make in India” नीति और ग्लोबल प्रभाव को आगे बढ़ाएगा। UK सरकार की संसद द्वारा अनुमोदन की प्रक्रिया चल रही है, जिसकी अपेक्षा मध्य 2026 तक लागू होने की है अगर यह लागू होता है तो
। रक्षा और सुरक्षा सहयोग, लचीली आपूर्ति श्रृंखला, निवेशधाराओं में वृद्धि समेत अन्य बहुक्षेत्रीय लाभ भी जुड़ सकते हैं।
5. संभावित चुनौतियाँ और चिंताएँ
कृषि को इस समझौते से बाहर रखा गया है, जिससे देश की संवेदनशील क्षेत्र की सुरक्षा की गई है
अन्य क्षेत्रों जैसे वित्तीय और कानूनी सेवाओं में UK की चार्जर बोर्ड टैक्स जैसी बाधाएँ अभी सुलझी नहीं हैं।
अमेरिका के साथ ट्रेड समझौते में भी अभी अनिश्चितताएँ बनी हुई हैं; कृषि, डयरी क्षेत्रों को लेकर अमेरिका से भारत पर दबाव बढ़ा हुआ है
6. अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इस समझौते के संभावित लाभ इस प्रकार हैं:
निर्यात वृद्धि: भारतीय वस्तु व सेवा निर्यात को मजबूत मंच मिलेगा।
रोजगार सृजन: खास तौर पर टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य, शिक्षा और निवेश क्षेत्रों में अवसर बढ़ेंगे।
विदेशी निवेश आकर्षित करना: UK कंपनियों को भारतीय सरकारी क्रय बाज़ारों (procurement) में प्रवेश मिलेगा।
मौद्रिक स्थिरता: वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां अनिश्चित रहने पर भी यह समझौता निवेश विश्वास बढ़ा सकता है
उदाहरण — सितंबर २०२५ तक भारत में IPO बाजार में निवेशकों का उत्साह जारी है: पहले छह महीनों में $6.7 बिलियन जुटाए गए, जो पिछले साल की तुलना में २५% अधिक है
7. नीतिगत दृष्टिकोण और भविष्य
यह FTA भारत के विदेश व्यापार नीति में बदलाव का प्रतीक है — वैश्विक एकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम।
UK‑EU के ब्रेक्सिट के बाद UK की तत्वाधान नीति में बदलाव, और भारत को दूसरा बड़ा FTA साझेदार बनना, रणनीतिक दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण है
अगला बड़ा पकड़ा-बिंदु अमेरिका के साथ संभावित FTA बने या नहीं, और इसकी प्रभावशीलता की दिशा में भारत की नीति भूमिका कैसी होगी, यह निर्णयक होगा
8. निष्कर्ष
India–UK Free Trade Agreement न केवल आर्थिक महत्व रखता है, बल्कि यह भारत की वैश्विक कारोबारी और रणनीतिक भूमिका को बढ़ाने वाला समझौता है। इसने भारत को पश्चिमी अर्थव्यवस्था के साथ तत्काल स्थायी संबंधों का दिशा-निर्देशन प्रदान किया है। हालांकि कुछ संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा बनी हुई है, फिर भी यह समझौता निर्यात, रोजगार, आवेदनात्मक मुद्रा प्रवाह और रणनीतिक आत्मनिर्भरता के लिहाज़ से देश को समग्र रूप से लाभान्वित कर सकता है।
सोर्सेस :-
The Guardian
Economic Times
FT.com (Financial Times)
Reuters
TTNews
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