स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला: राजनीति, विवाद और सोशल मीडिया की नई बहस
🗓️ घटना की तारीख: 6 अगस्त 2025
📍 स्थान: फतेहपुर, उत्तर प्रदेश
✅ क्या हुआ था?
6 अगस्त को उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य पर एक करणी सेना के कार्यकर्ता ने उस समय हमला कर दिया जब वे फतेहपुर में एक स्वागत समारोह में शामिल हो रहे थे।
हमलावर ने गले मिलने के बहाने पास आकर उन्हें अचानक थप्पड़ मार दिया, और ये पूरी घटना कैमरे में रिकॉर्ड हो गई। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देशभर में राजनीतिक भूचाल आ गया।
स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला
🚨 कौन था हमलावर?
हमलावर की पहचान करणी सेना के कार्यकर्ता के रूप में हुई है।
उसे मौके पर ही पकड़कर पुलिस को सौंप दिया गया।
पूछताछ के दौरान हमलावर ने कहा कि वह स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान और विचारों से नाराज़ था।
🗣️ स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान
मौर्य ने घटना के तुरंत बाद ककहा
“ये हमला पूर्व नियोजित था। करणी सेना और भाजपा के संरक्षण में यह षड्यंत्र रचा गया है। मैं डरने वाला नहीं हूं। जनता सब देख रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस हमले के बाद वे और ज्यादा ताकत के साथ “भाजपा हटाओ, यूपी बचाओ” अभियान चलाएंगे।
📲 सोशल मीडिया पर हलचल
ट्विटर/X पर #SwamiPrasadMaurya और #KarniSena ट्रेंड करने लगे।
लोगों की राय बंटी हुई नजर आई — कुछ ने मौर्य का समर्थन किया, तो कुछ ने उनकी विचारधारा पर सवाल उठाए।
यह घटना राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर चर्चा का विषय बन गई।
🔍 क्या है इसका बड़ा राजनीतिक मतलब?
1. 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र ये घटना बहुत मायने रखती है।
2. स्वामी प्रसाद मौर्य पहले भी अपने विवादित बयानों और धार्मिक मुद्दों पर खुलकर राय रखने के कारण चर्चा में रहे हैं।
3. यह हमला उनकी छवि को मजबूत भी कर सकता है और विपक्ष के लिए प्रचार का हथियार भी बन सकता है।
🧾 निष्कर्ष
स्वामी प्रसाद मौर्य पर हुआ हमला सिर्फ एक व्यक्ति की नाराज़गी नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में तेज़ी से बदलते समीकरणों का संकेत भी है।
जहाँ एक तरफ विरोधियों ने इस पर खुशी जताई, वहीं लोकतंत्र में हिंसा की जगह नहीं होने की बात पर भी सहमति दिखाई दी।