UPSC के लिए आंतरिक सुरक्षा (Internal Security) – संपूर्ण मार्गदर्शिका
प्रस्तावना
आंतरिक सुरक्षा किसी भी देश की स्थिरता, विकास और राष्ट्रीय एकता की रीढ़ है। भारत जैसे विशाल, विविधता-पूर्ण और लोकतांत्रिक देश में आंतरिक सुरक्षा की अहमियत और भी बढ़ जाती है। UPSC परीक्षा में “आंतरिक सुरक्षा” GS Paper-III का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है, जहां से हर साल 10-15 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं। इस लेख में हम आंतरिक सुरक्षा की परिभाषा, महत्व, चुनौतियाँ, खतरों के प्रकार, सरकारी उपाय और तैयारी के टिप्स विस्तार से जानेंगे।
आंतरिक सुरक्षा की परिभाषा
आंतरिक सुरक्षा का अर्थ है – देश के अंदर कानून और व्यवस्था बनाए रखना, नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा करना, और राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को बनाए रखना। यह सुरक्षा बाहरी आक्रमण से नहीं बल्कि देश के भीतर से उत्पन्न खतरों और चुनौतियों से संबंधित होती है।
मुख्य बिंदु:
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कानून-व्यवस्था (Law & Order) बनाए रखना
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आंतरिक शांति और स्थिरता
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आतंकवाद, नक्सलवाद, उग्रवाद और संगठित अपराध पर नियंत्रण
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साइबर और आर्थिक सुरक्षा
भारत में आंतरिक सुरक्षा का महत्व
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राष्ट्रीय एकता की रक्षा: विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों वाले देश में आंतरिक सुरक्षा से ही एकता बनी रहती है।
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आर्थिक विकास: स्थिर माहौल में ही उद्योग, निवेश और रोजगार बढ़ते हैं।
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लोकतंत्र की मजबूती: सुरक्षा का माहौल नागरिक स्वतंत्रता को सुरक्षित करता है।
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विदेश नीति पर असर: आंतरिक अस्थिरता अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित करती है।
भारत में आंतरिक सुरक्षा के प्रमुख खतरे
1. आतंकवाद (Terrorism)
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घरेलू आतंकवाद: जैसे जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद, नॉर्थ-ईस्ट में विद्रोही समूह।
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पार-सीमाई आतंकवाद: पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद।
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धार्मिक कट्टरपंथ: सोशल मीडिया और बाहरी फंडिंग से प्रेरित कट्टरपंथ।
उदाहरण: 26/11 मुंबई हमला, पुलवामा हमला (2019)
2. नक्सलवाद/माओवादी हिंसा (Left Wing Extremism)
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1967 में नक्सलबाड़ी आंदोलन से शुरुआत
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वर्तमान में छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार के कुछ हिस्सों में सक्रिय
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मुख्य कारण: गरीबी, असमान विकास, आदिवासी विस्थापन, सरकारी योजनाओं का अभाव
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प्रमुख संगठन: CPI (Maoist)
3. उग्रवाद और अलगाववाद (Insurgency & Separatism)
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नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में जातीय और भाषाई आधार पर अलगाववादी आंदोलन
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उदाहरण: NSCN (IM), ULFA, Bodo आंदोलन
4. सांप्रदायिक दंगे (Communal Riots)
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धार्मिक आधार पर हिंसा और तनाव
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इसके पीछे अफवाह, राजनीति और बाहरी हस्तक्षेप का बड़ा योगदान
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उदाहरण: गुजरात दंगे 2002, मुजफ्फरनगर दंगे 2013
5. संगठित अपराध (Organized Crime)
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ड्रग तस्करी, हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी, हवाला नेटवर्क
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उदाहरण: पंजाब और राजस्थान में ड्रग्स की तस्करी पाकिस्तान सीमा से
6. साइबर सुरक्षा खतरे (Cyber Threats)
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हैकिंग, डेटा चोरी, बैंकिंग धोखाधड़ी, सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना
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सरकारी और सैन्य नेटवर्क पर साइबर अटैक
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उदाहरण: 2020 में मुंबई पावर ग्रिड साइबर हमला
7. सीमा प्रबंधन चुनौतियाँ
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भारत की 15,000+ किमी लंबी सीमा – पाकिस्तान, चीन, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान से लगी हुई
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चुनौतियाँ: सीमा पार से आतंकवाद, अवैध प्रवास, तस्करी, ड्रग्स
आंतरिक सुरक्षा से जुड़े संवैधानिक और कानूनी प्रावधान
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भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860
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गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम – UAPA
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008
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सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम – AFSPA
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आतंकवाद निवारण अधिनियम – POTA (वर्तमान में निरस्त)
आंतरिक सुरक्षा में शामिल प्रमुख एजेंसियां
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इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA)
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सीमा सुरक्षा बल (BSF)
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केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
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राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG)
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रॉ (RAW) – बाहरी खुफिया एजेंसी
सरकार के प्रमुख उपाय
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आधुनिक तकनीक का प्रयोग: ड्रोन सर्विलांस, बायोमेट्रिक ट्रैकिंग, CCTV नेटवर्क
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सामुदायिक पुलिसिंग: स्थानीय जनता के साथ पुलिस का बेहतर संवाद
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विकास आधारित दृष्टिकोण: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, बिजली, शिक्षा
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साइबर सुरक्षा नीति: CERT-In द्वारा साइबर हमलों पर निगरानी
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सीमा प्रबंधन: स्मार्ट फेंसिंग, रडार सिस्टम, इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट
UPSC में आंतरिक सुरक्षा से जुड़े पिछले वर्षों के प्रश्न
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“भारत में नक्सलवाद के कारण और समाधान पर चर्चा कीजिए।”
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“आधुनिक तकनीक आंतरिक सुरक्षा को कैसे मजबूत करती है?”
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“साइबर सुरक्षा भारत की आंतरिक सुरक्षा का अहम हिस्सा क्यों है?”
UPSC तैयारी के लिए सुझाव
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GS Paper-III का सिलेबस पढ़ें और टॉपिकवार नोट्स बनाएं।
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PIB, PRS, गृह मंत्रालय की रिपोर्ट्स से अपडेट रहें।
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समाचार पत्रों (The Hindu, Indian Express) से केस स्टडी नोट करें।
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पिछले 10 साल के प्रश्न पत्र हल करें।
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उत्तर लेखन अभ्यास करें – बिंदुवार और उदाहरण सहित।
निष्कर्ष
आंतरिक सुरक्षा केवल पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है। जब देश के नागरिक जागरूक, एकजुट और जिम्मेदार होते हैं, तो आंतरिक सुरक्षा स्वतः मजबूत होती है। UPSC तैयारी के दृष्टिकोण से, यह विषय न केवल तथ्यात्मक ज्ञान बल्कि विश्लेषणात्मक सोच और समस्या-समाधान क्षमता भी विकसित करता है।
भारत की आंतरिक सुरक्षा – चुनौतियाँ, समाधान और UPSC GS Paper 3 के लिए सम्पूर्ण गाइड [हिंदी में]