भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) – भूमिका, कार्य और महत्व
परिचय
भारतीय अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस विकास यात्रा के केंद्र में है भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI – Reserve Bank of India)। यह सिर्फ एक बैंक नहीं, बल्कि भारत की मौद्रिक और वित्तीय प्रणाली का हृदय है।
RBI देश की मुद्रा आपूर्ति, ब्याज दरें, बैंकिंग प्रणाली, विदेशी मुद्रा प्रबंधन और वित्तीय स्थिरता को नियंत्रित करता है।
RBI की स्थापना
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स्थापना वर्ष – 1 अप्रैल 1935
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शुरुआत – ब्रिटिश शासन के समय, Hilton Young Commission की सिफारिश पर
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राष्ट्रीयकरण – 1 जनवरी 1949 को हुआ
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मुख्यालय – मुंबई
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वर्तमान गवर्नर (2025 तक) – शक्तिकांत दास
RBI के मुख्य उद्देश्य
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भारतीय मुद्रा (रुपया) की स्थिरता बनाए रखना।
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देश की बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं पर नियंत्रण।
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महंगाई (Inflation) को संतुलित करना।
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विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन।
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आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।
RBI के प्रमुख कार्य
1. मुद्रा जारी करने का अधिकार
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भारत में नोट छापने का अधिकार सिर्फ RBI के पास है।
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₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और ₹2000 के नोट RBI जारी करता है।
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₹1 का नोट भारत सरकार जारी करती है।
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RBI के नोटों पर गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं।
2. मौद्रिक नीति (Monetary Policy)
RBI महंगाई और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, CRR, SLR जैसे उपकरणों का उपयोग करता है।
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रेपो रेट घटाने से लोन सस्ते होते हैं।
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रेपो रेट बढ़ाने से महंगाई पर नियंत्रण आता है।
3. बैंकिंग प्रणाली का नियमन
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भारत के सभी बैंक (SBI, ICICI, HDFC, Cooperative Banks आदि) RBI के नियमों के तहत काम करते हैं।
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RBI बैंकिंग लाइसेंस देता है।
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RBI सुनिश्चित करता है कि बैंक ग्राहकों की जमा राशि सुरक्षित रहे।
4. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (Forex)
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RBI भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) का प्रबंधन करता है।
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यह डॉलर-रुपया विनिमय दर को संतुलित रखता है।
5. वित्तीय स्थिरता
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अगर किसी बैंक पर संकट आता है तो RBI उसे नियंत्रित करता है।
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2008 की Global Financial Crisis और 2020 की COVID-19 महामारी में RBI ने कई राहत उपाय किए।
6. डिजिटल बैंकिंग और पेमेंट सिस्टम
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RBI ने NEFT, RTGS, UPI, डिजिटल वॉलेट्स को अनुमति और निगरानी दी।
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भारत को कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ाने में RBI की अहम भूमिका है।
RBI की संरचना
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गवर्नर – सबसे बड़ा पद
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4 डिप्टी गवर्नर – अलग-अलग विभाग देखते हैं
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सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स – 21 सदस्य होते हैं
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RBI सीधे भारत सरकार के वित्त मंत्रालय से जुड़ा होता है।
RBI और आम आदमी
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ब्याज दरें – होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन की EMI सीधे RBI की नीतियों पर निर्भर करती है।
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महंगाई नियंत्रण – RBI का मुख्य लक्ष्य आम जनता की जेब पर बोझ कम करना है।
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डिजिटल पेमेंट्स – UPI, मोबाइल बैंकिंग, ATM सब RBI की देखरेख में चलते हैं।
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जमा राशि की सुरक्षा – अगर बैंक डूब भी जाए तो ₹5 लाख तक की राशि DICGC (RBI की सहायक संस्था) से सुरक्षित रहती है।
RBI की चुनौतियाँ
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महंगाई और बेरोजगारी में संतुलन
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डिजिटल फ्रॉड और साइबर सिक्योरिटी
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ग्लोबल आर्थिक संकट का असर
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क्रिप्टोकरेंसी का नियमन
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बैंकिंग घोटाले और NPA (Non-Performing Assets)
निष्कर्ष
भारतीय रिज़र्व बैंक सिर्फ एक बैंक नहीं बल्कि देश की आर्थिक रीढ़ है। इसकी नीतियाँ हर नागरिक के जीवन को प्रभावित करती हैं – चाहे वह महंगाई हो, EMI हो या डिजिटल पेमेंट।
जैसे-जैसे भारत विश्व की 3rd सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, RBI की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जाएगी।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. RBI का मुख्यालय कहाँ है?
मुंबई में।
Q2. RBI की स्थापना कब हुई थी?
1 अप्रैल 1935 को।
Q3. वर्तमान में RBI के गवर्नर कौन हैं?
शक्तिकांत दास (2025 तक)।
Q4. क्या ₹1 का नोट RBI जारी करता है?
नहीं, ₹1 का नोट भारत सरकार जारी करती है।
Q5. RBI महंगाई पर कैसे नियंत्रण करता है?
रेपो रेट, CRR और मौद्रिक नीति के जरिए।
Q6. DICGC क्या है?
Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation, जो ग्राहकों की ₹5 लाख तक की बैंक जमा राशि को सुरक्षित रखता है।
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