संस्कृति (Sanskriti) – भारतीय परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण
प्रस्तावना
“संस्कृति ही राष्ट्र की आत्मा है।”
भारत का इतिहास केवल राजनीतिक घटनाओं का क्रम नहीं है, बल्कि यह संस्कृति की सतत धारा है जिसने हजारों वर्षों तक विविधताओं को एक सूत्र में बाँधकर रखा है। संस्कृति मनुष्य के विचार, आचरण और जीवन मूल्यों का दर्पण है। UPSC के लिए संस्कृति को समझना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह भारतीय पहचान, राष्ट्रीय एकता और आधुनिक चुनौतियों के समाधान की कुंजी है।
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संस्कृति की परिभाषा
संस्कृति (Culture) – “Cultus” (Latin शब्द) से निकला है, जिसका अर्थ है संवर्द्धन या परिष्कार।
भारतीय परिभाषा – संस्कृति वह है जो संस्कारित करे, शुद्ध करे और जीवन को उच्च बनाए।
UNESCO के अनुसार:
“Culture is the set of distinctive spiritual, material, intellectual and emotional features of society.”
सरल शब्दों में:
संस्कृति = जीवन शैली + मूल्य + ज्ञान + कला + परंपरा + भाषा + आचार।
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संस्कृति और सभ्यता में अंतर
पहलू संस्कृति सभ्यता
प्रकृति आंतरिक (मूल्य, विचार, विश्वास) बाहरी (भौतिक प्रगति, तकनीकी विकास)
केंद्र आत्मा, नैतिकता, कला साधन, संगठन, व्यवस्था
स्थायित्व दीर्घकालिक परिवर्तनीय
उदाहरण योग, अहिंसा, वेदांत दर्शन नगरीकरण, विज्ञान, स्थापत्य
👉 संस्कृति आत्मा है, सभ्यता शरीर।
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भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ
1. प्राचीनता और निरंतरता – सिंधु घाटी से लेकर आधुनिक भारत तक निरंतर परंपरा।
2. आध्यात्मिक दृष्टिकोण – “सर्वे भवन्तु सुखिनः” और मोक्ष की आकांक्षा।
3. सहिष्णुता और समन्वय – बौद्ध, जैन, सूफी, भक्ति परंपरा।
4. विविधता में एकता – भाषा, धर्म, रीति-रिवाज अलग-अलग, पर भारतीयता एक।
5. लोक एवं शास्त्र परंपरा – शास्त्रीय संगीत और लोकनृत्य दोनों का संरक्षण।
6. समग्र दृष्टि – विज्ञान, दर्शन और कला का संतुलित विकास।
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भारतीय संस्कृति के घटक
1. भाषा और साहित्य – संस्कृत, पाली, प्राकृत, हिंदी, तमिल, उर्दू आदि।
2. धर्म और दर्शन – वेदांत, बौद्ध, जैन, इस्लाम, सूफी, सिख परंपरा।
3. कला और वास्तुकला – अजंता-एलोरा, कोणार्क, ताजमहल, मंदिर स्थापत्य।
4. संगीत और नृत्य – भरतनाट्यम, कथक, हिंदुस्तानी व कर्नाटक संगीत।
5. लोक संस्कृति – मेले, त्यौहार, लोककथाएँ, क्षेत्रीय परंपराएँ।
6. जीवन मूल्य – सत्य, अहिंसा, दया, परिवार-केन्द्रित जीवन।
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भारतीय संस्कृति का महत्व (UPSC दृष्टिकोण से)
राष्ट्रीय एकता का आधार – भिन्नताओं के बावजूद “भारत” एक सांस्कृतिक इकाई।
सॉफ्ट पावर – योग, आयुर्वेद, बॉलीवुड, खान-पान, भारतीय कला की वैश्विक पहचान।
नैतिक मूल्य – धर्म, कर्तव्य, सहिष्णुता आधुनिक समाज में भी प्रासंगिक।
लोकतंत्र और सहअस्तित्व – बहुलतावादी समाज की जड़ें संस्कृति में।
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आधुनिक युग में संस्कृति की चुनौतियाँ
1. पश्चिमीकरण और उपभोक्तावाद
2. लोक संस्कृति का क्षरण
3. भाषाई और क्षेत्रीय अस्मिता की राजनीति
4. डिजिटल युग का प्रभाव – सांस्कृतिक समरूपता का खतरा
5. ग्लोबलाइजेशन बनाम भारतीयता
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समाधान और आगे की राह
1. शिक्षा में सांस्कृतिक मूल्यों का समावेश
2. डिजिटल संरक्षण (Digitization of manuscripts, monuments)
3. लोककला और कलाकारों का समर्थन
4. ‘Make in India’ के साथ ‘Think Indian’ दृष्टिकोण
5. ग्लोबल मंच पर भारतीय संस्कृति का प्रचार – Yoga Day, Ayurveda, Bharatanatyam Tours
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निष्कर्ष
भारतीय संस्कृति केवल अतीत की धरोहर नहीं, बल्कि भविष्य का मार्गदर्शन भी है। यह हमारी आत्मा है जो सभ्यता को दिशा देती है। आज जब दुनिया पहचान और अस्तित्व के संकट से जूझ रही है, तब भारतीय संस्कृति का संदेश – ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) – मानवता के लिए पथप्रदर्शक सिद्ध हो सकता है।
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UPSC उत्तर लेखन Key Points
संस्कृति की परिभाषा + सभ्यता से अंतर
भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ (Continuity, Tolerance, Unity in Diversity)
घटक (भाषा, कला, दर्शन, धर्म, संगीत आदि)
चुनौतियाँ और समाधान
सकारात्मक निष्कर्ष (Global Relevance of Indian Culture)