सूचना का अधिकार (RTI) – लोकतंत्र की असली शक्ति

सूचना का अधिकार (RTI) – लोकतंत्र की असली शक्ति RTI क्या है? (What is RTI in Hindi) सूचना का अधिकार (Right to Information – RTI) भारत के नागरिकों को एक कानूनी अधिकार प्रदान करता है जिसके माध्यम से वे सरकार से किसी भी सार्वजनिक जानकारी की मांग कर सकते हैं। यह अधिकार पारदर्शिता और जवाबदेही … Read more

सिविल सेवा की रीढ़ – नैतिकता…

सिविल सेवा की रीढ़ – नैतिकता, ईमानदारी और सुशासन का असली अर्थ:- “Integrity is doing the right thing, even when no one is watching.”– C.S. Lewis ✍️ भूमिका जब कोई UPSC aspirant तैयारी शुरू करता है, तो अक्सर GS Paper-IV (Ethics, Integrity and Aptitude) को सबसे अलग और थोड़ा अजीब पाता है।लेकिन जैसे-जैसे विषय समझ … Read more

नैतिक द्वंद्व: प्रशासनिक सेवा में निर्णय और उत्तरदायित्व

नैतिक द्वंद्व: प्रशासनिक सेवा में निर्णय और उत्तरदायित्व   परिचय “नैतिक द्वंद्व” (Ethical Dilemma) वह स्थिति होती है जब किसी व्यक्ति को दो या अधिक नैतिक सिद्धांतों के बीच चयन करना होता है, और हर विकल्प के अपने सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव होते हैं। यह प्रशासनिक सेवाओं में एक सामान्य किंतु जटिल चुनौती है, जहाँ … Read more

प्रशासन में नैतिकता: सिविल सेवकों के लिए क्यों है यह अनिवार्य?

प्रशासन में नैतिकता: सिविल सेवकों के लिए क्यों है यह अनिवार्य? नैतिकता वह मूल भावना है जो किसी व्यक्ति के आचरण और निर्णय को सही और गलत के आधार पर दिशा देती है। सिविल सेवा में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि एक अधिकारी के निर्णय से लाखों लोगों का जीवन प्रभावित … Read more

नैतिकता और मानव इंटरफेस (Ethics and Human Interface)”

“नैतिकता और मानव इंटरफेस (Ethics and Human Interface)” UPSC Ethics Paper (GS-4) का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है। इसका मुख्य उद्देश्य नैतिकता के सिद्धांतों को समझना और उनका मानवीय जीवन, समाज और प्रशासन में प्रभाव को देखना है।     —   1. नैतिकता (Ethics) क्या है?   नैतिकता उन सिद्धांतों और मूल्यों का समूह है … Read more

जेरेमी बेंथम

जेरेमी बेंथम जेरेमी बेंथम (1748-1832) एक अंग्रेज़ी दार्शनिक, विधिवेत्ता और समाज सुधारक थे, जिन्हें उपयोगितावाद (Utilitarianism) के जनक के रूप में जाना जाता है। उनका मुख्य सिद्धांत था कि समाज में हर निर्णय का उद्देश्य “अधिकतम लोगों के लिए अधिकतम सुख” (Greatest Happiness Principle) होना चाहिए।   जेरेमी बेंथम के प्रमुख विचार:   1. उपयोगितावाद … Read more

इम्मैनुअल कांट (Immanuel Kant) – आधुनिक दर्शन के जनक

इम्मैनुअल कांट (Immanuel Kant) – आधुनिक दर्शन के जनक इम्मैनुअल कांट (1724-1804) जर्मनी के महान दार्शनिक थे, जिन्होंने आधुनिक पश्चिमी दर्शन को गहराई से प्रभावित किया। वे ज्ञानमीमांसा (Epistemology), नैतिकता (Ethics) और तर्कशास्त्र (Logic) के प्रमुख विचारक थे। उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान आलोचनात्मक दर्शन (Critical Philosophy) है, जो यह समझने की कोशिश करता है कि … Read more

अरस्तू (Aristotle) – महान यूनानी दार्शनिक

अरस्तू (Aristotle) – महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू (384 ईसा पूर्व – 322 ईसा पूर्व) प्राचीन ग्रीस (यूनान) के सबसे प्रसिद्ध दार्शनिकों में से एक थे। वे प्लेटो (Plato) के शिष्य और सिकंदर महान (Alexander the Great) के गुरु थे। उन्होंने दर्शनशास्त्र, राजनीति, तर्कशास्त्र, विज्ञान, नैतिकता और काव्यशास्त्र सहित कई विषयों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1. … Read more

नैतिकता (Ethics)

नैतिकता (Ethics) – संपूर्ण जानकारी 1. नैतिकता की परिभाषा (Definition of Ethics) नैतिकता (Ethics) वह प्रणाली या सिद्धांतों का समूह है, जो यह निर्धारित करता है कि किसी कार्य या व्यवहार को सही (Right) या गलत (Wrong) कैसे माना जाए। यह मानव आचरण और मूल्यों (Values) से जुड़ा हुआ एक दार्शनिक विषय है। प्रमुख परिभाषाएँ: … Read more

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