Digital India की सफलता और चुनौतियाँ: एक इंफ्लुएंस UPSC
🔹 परिचय
Digital India एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य भारत को डिजिटली सक्षम, समावेशी और तकनीकी रूप से सशक्त राष्ट्र बनाना है। 2015 में शुरू हुई यह योजना पाँच मुख्य स्तंभों – डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, ई‑गवर्नेंस, डिजिटल सेवाएँ, डिजिटल साक्षरता, और मुद्रा को डिजिटल बनाने – पर आधारित है।
🔹 विकास की उपलब्धियाँ
1. ऑधारीकरण (Aadhaar):
13 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को बैंकिंग, सब्सिडी और अन्य सेवाओं में शामिल किया गया है।
सेवा वितरण में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार में कमी आई है।
2. बैंकिंग और डिजिटल भुगतान:
UPI के माध्यम से प्रतिदिन अरबों रुपये का लेन‑देन संभव हुआ है।
माध्यमिक और तृतीयक शहरों तक इंटरनेट‑बैंकिंग सेवाएँ फैली हैं।
3. ई‑गवर्नेंस और मोबाइल एप्स:
UMANG, DigiLocker, e-Hospital, e-Shram जैसे प्लेटफॉर्म व्यापक रूप से उपयोग किए जा रहे हैं।
सरकारी सेवाओं की पहुँच और पारदर्शिता में वृद्धि।
4. डिजिटल साक्षरता:
PM‑WANI, PMGDISHA जैसी योजनाओं से ग्रामीण भारत में डिजिटल ट्रेनिंग और कनेक्टिविटी बढ़ी है।
🔹 प्रमुख चुनौतियाँ & सुधार के सुझाव
क्षेत्र चुनौतियाँ समाधान/सलाह
डिजिटल विभाजन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट की सुलभता में अंतर इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार, BSNL/BBNL जैसे सार्वजनिक नेटवर्क में निवेश
साइबर सुरक्षा फिशिंग, डेटा चोरी, साइबर अपराध में वृद्धि मजबूत डेटा प्रोटेक्शन कानून (जैसे DPDP Act का सही क्रियान्वयन), साइबर जागरूकता अभियान
एकीकृत सेवाएँ कई प्लेटफ़ॉर्मों पर सेवाओं का विलयन नहीं आधार, UPI, DigiLocker जैसी सेवाओं की इंटरऑपरेबिलिटी
डिजिटल साक्षरता ग्रामीण, बुजुर्ग, एवं शिक्षण से दूर वर्गों में कुप्रवेश भाषा-अनुकूल और सरल डिजिटल ट्रेनिंग, स्थानीय जागरूकता केंद्र
कायक्रम अनुपालन राज्यों में कार्यान्वयन में विलंब और अंतर राज्यों के प्रदर्शन-आधारित फंडिंग मॉडल, बेहतर समन्वय और निगरानी
🔹 संभावित UPSC प्रश्न उदाहरण
“Digital India पहल भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कैसे सुदृढ़ कर रही है?”
“Digital India योजना से श्रीमति सीतारामन के चालू वित्त वर्ष के बजट में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को किस प्रकार प्राथमिकता दी गई है?”
“भारत में डिजिटल विभाजन (Digital Divide) के कारण और समाधान यूपीएससी स्तर पर विश्लेषण करें।”
🔹 निष्कर्ष
Digital India राष्ट्र की डिजिटलीकरण प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण आधार रही है। हालांकि इसके कई लाभ स्पष्ट हैं, लेकिन अंतर्निर्मित चुनौतियों को पहचानकर समय रहते सुधार लागू करना आवश्यक है। नीति निर्माताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और सरकारों को साझा प्रयास से इसे और प्रभावी बनाया जा सकता है।