हरितालिका तीज व्रत कथा
भारत में पर्व-त्योहार केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं होते बल्कि वे हमारी संस्कृति और परंपराओं को भी जीवित रखते हैं। इन्हीं प्रमुख पर्वों में से एक है हरितालिका तीज, जिसे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है और इसका संबंध माता पार्वती और भगवान शिव की अनूठी प्रेम-गाथा से है।
🌿 तीज व्रत कथा – एक अनोखी प्रेम गाथा
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती जी बचपन से ही भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थीं। लेकिन उनके पिता हिमवान उनकी शादी भगवान विष्णु से करना चाहते थे। जब पार्वती जी को इस बात का पता चला तो वे अत्यंत दुखी हुईं और अपनी सखियों के साथ जंगल की ओर चली गईं।
वहाँ उन्होंने एक गुफा में बैठकर कठोर तपस्या शुरू की। न अन्न लिया और न ही जल – केवल भगवान शिव के ध्यान में लीन होकर दिन-रात उपवास करती रहीं।
उनकी इस निष्ठा और प्रेम से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। जिस दिन यह divine मिलन हुआ, वह दिन भाद्रपद शुक्ल तृतीया का था। तभी से यह तिथि हरितालिका तीज कहलाने लगी और इस दिन उपवास-पूजन का विशेष महत्व माना जाने लगा।
🌼 हरितालिका तीज व्रत का महत्व
-
सौभाग्य की रक्षा – विवाहित महिलाएँ यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन की कामना के लिए करती हैं।
-
अविवाहित कन्याओं के लिए वरदान – यह व्रत करने से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है।
-
आध्यात्मिक शक्ति – निर्जला व्रत और शिव-पार्वती की उपासना से आत्मबल और मानसिक शांति मिलती है।
-
सांस्कृतिक उत्सव – तीज के अवसर पर महिलाएँ सोलह श्रृंगार करती हैं, झूला झूलती हैं, गीत गाती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं।
🌸 पूजा विधि (संक्षेप में)

-
तड़के स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
-
मिट्टी या लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति/प्रतिमा स्थापित करें।
-
जल, अक्षत, फल, फूल और बेलपत्र चढ़ाएँ।
-
निर्जला व्रत रखते हुए रात्रि में जागरण करें और कथा का श्रवण करें।
-
अगले दिन व्रत का पारण करें।
✨ निष्कर्ष
हरितालिका तीज केवल एक व्रत नहीं, बल्कि स्त्री शक्ति, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्चे प्रेम और दृढ़ संकल्प से असंभव भी संभव हो सकता है। यही कारण है कि आज भी महिलाएँ पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ यह व्रत करती हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि तथा वैवाहिक सौभाग्य की कामना करती हैं।
बाबा रामदेव जी राजस्थान
❓ हरितालिका तीज क्या है?
✅ हरितालिका तीज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला व्रत है। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह से जुड़ा है और इसे विवाहित एवं अविवाहित महिलाएँ करती हैं।
❓ हरितालिका तीज व्रत की कथा क्या है?
✅ पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस दिन व्रत करने की परंपरा शुरू हुई।
❓ हरितालिका तीज व्रत का महत्व क्या है?
✅ यह व्रत विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु प्रदान करता है। वहीं अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है।
❓ हरितालिका तीज व्रत कैसे किया जाता है?
✅ इस दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं। सुबह स्नान कर सोलह श्रृंगार करती हैं, शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और रात्रि में कथा का श्रवण करती हैं। अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है।
❓ 2025 में हरितालिका तीज कब है?
✅ वर्ष 2025 में हरितालिका तीज 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।